“जहां कहीं भी अन्याय शेष है, वह न्याय के लिए सर्वत्र ख़तरा है।” -मार्टिन लूथर किंग सीनियर
इमरजेंसी: ट्रंप के अमेरिका में अघोषित आपातकाल के ख़तरे!
- विचार
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- 26 Jun, 2025

भारत में 1975 के आपातकाल को याद किया जा रहा है और मौजूदा समय में अघोषित आपातकाल की बात की जा रही है। ऐसे ही अघोषित आपातकाल की चर्चा अमेरिका में भी हो रही है। क्या डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका एक अघोषित आपातकाल की ओर बढ़ रहा है? पढ़िए, आपातकाल पर रामशरण जोशी के लेखों की शृंखला की चौथी और आख़िरी कड़ी।
अवैध आप्रवासियों के मुद्दे पर अमेरिका के कुछ हिस्सों में हिंसा-आगजनी की पृष्ठभूमि में अत्यंत विवादास्पद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 78वां जन्मदिन मना। इससे पहले विभिन्न शहरों में ट्रंप के विरुद्ध खूब प्रदर्शन हुए और जन्मदिन को नहीं मनाने की अपीलें कीं। चौराहों पर नारे गूंजे - no king then, no king now (न तब राजा, न अब राजा)। ऐतिहासिक महत्व के टाउन कॉन्कर्ड की सड़कों पर हाथों में तख्ती लेकर जुलूस निकाले : Trump the law breaker , stop the tyranny, Trump is fraud, liberty -justice for all. Save medicare -save social security, Trump traitor -impeach and convict , hands off! अमेरिका की आज़ादी के इतिहास में कॉन्कर्ड का विशेष महत्व है। ढाई सौ बरस पहले यहां से अमेरिका की क्रांति की शुरुआत हुई थी। स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में इस छोटे-से नगर में म्यूजियम भी बना हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शब्दों में, ”भारत और पाकिस्तान पिछले डेढ़ हज़ार बरस से सरहदों पर लड़ते आ रहे हैं।” ट्रम्प का यह अनोखा इतिहास ज्ञान अप्रैल के अंतिम सप्ताह में प्रकट हुआ था। 22 अप्रैल को पहलगाम में सैलानियों पर आतंकी हमले के बाद एक महिला पत्रकार ने राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया जाननी चाही थी। इसके बाद ट्रम्प ने मई के दूसरे सप्ताह में भी अपने विलक्षण इतिहास ज्ञान को दोहराया। घोषित और अघोषित आपातकालों के सन्दर्भ में ट्रम्प-उवाच की प्रासंगिकता यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की काया भाषा व शासन शैलियों में मुझे कुछ सादृश्यता प्रतीत होती है।
पाकिस्तान का जन्म 14 अगस्त, 1947 को हुआ था। इस्लाम और उसके अनुयायी 12 -13 सौ साल के हैं। विश्व की एकल ध्रुवीय शक्ति व्यवस्था (अमेरिका) के शिखरतम नेता का यह इतिहास बोध-स्तर है, तब उसकी शासन शैली का अनुमान लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, जब उक्त पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या वे संविधान की व्यवस्था का पालन करते हैं? उनका उत्तर था, ”मैं नहीं जानता। मेरे सहायक संविधान विशेषज्ञ जानते हैं।” देश के संविधान के प्रति उनके शब्दों और मुद्राओं में उदासीनता व निस्पृहता के भाव झलक रहे थे। मैं इन चंद शब्दों से मुखरित संकेतों की पृष्ठभूमि में ट्रम्प -अमेरिका में अघोषित आपातकाल की परछाइयों की चर्चा करूंगा। इससे पहले मई की ही एक ताज़ा घटना से ट्रम्प -शासन को समझा जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प के मनमौज़ी आदेशों की चपेट में कांग्रेस (संसद) के पुस्तकालय की अश्वेत पुस्तकालय अधिकारी डॉ. कारला हेडेन आ गईं। उन्हें 8 मई को सेवा से बर्खास्त कर दिया, जबकि वे अगले साल सेवानिवृत होने वाली थीं। ट्रम्प शासन का आरोप था कि हेडेन का ‘बहुलता, समानता और समरसता’ पर फोकस रहता और पुस्तकालय में वैसी ही पुस्तकों को बढ़ावा देती हैं। हेडेन की कोशिश रहती थी कि पुस्तकालय में एशिया, दक्षिण अमेरिका, मूल जनजाति समाज आदि से सम्बंधित साहित्य की आवक होनी चाहिए। लेकिन, उनकी यह दृष्टि रूढ़िवादी नेताओं को पसंद नहीं थी और न ही ट्रम्प शासन को। पुस्तकालय के लम्बे इतिहास में हेडेन पहली अश्वेत महिला लाइबेरियन थीं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी नियुक्ति की थी। मीडिया में ट्रम्प के इस क़दम की तीखी आलोचना भी की गई।