भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां सरकार ने कोरोना महामारी के इस दौर में जनता को उसके हाल पर छोड़कर इस आपदा को अपने लिए मनमानी का एक अवसर बना लिया है। इस अवसर के तहत लोकतंत्र को एक तरह से निलंबित कर दिया गया है।
सरकार बताए, संसदीय समिति की बैठकों की जानकारी क्या जनता को नहीं मिलनी चाहिए?
- विचार
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- 31 Aug, 2020

देश की संसद और उससे जुड़ी समूची संसदीय गतिविधियां पिछले पांच महीने से पूरी तरह ठप हैं और सरकार अध्यादेश के जरिए मनमाने फ़ैसले ले रही है।
देश की संसद और उससे जुड़ी समूची संसदीय गतिविधियां पिछले पांच महीने से पूरी तरह ठप हैं। सरकार अध्यादेश के जरिए मनमाने फ़ैसले ले रही है और जनविरोधी क़ानून बना रही है। कई राज्य सरकारें भी इस मामले में केंद्र सरकार के ही नक्श-ए-क़दम पर चल रही हैं।
ये कैसा फरमान?
कोरोना संक्रमण के बहाने लोक महत्व के मसलों पर संबंधित संसदीय समिति की बैठकें तक नहीं होने दी जा रही हैं। सरकार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अब जिन कुछ संसदीय समितियों की बैठक की अनुमति दी भी गई है तो राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष ने फरमान जारी कर दिया है कि इन समितियों की बैठक में होने वाली चर्चाओं को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और समिति का जो सदस्य ऐसा करेगा उस पर विशेषाधिकार हनन का मामला चलाया जा सकता है।