देखना यह है कि भारत वापस लौटने वाले ये लोग, जिनकी संख्या लाखों में हैं, वापस उन देशों में जाएंगे या नहीं? यदि वे नहीं जाएंगे तो उन्हें भारत में रोज़गार कैसे मिलेगा? क्या वे कम वेतन पर काम करना चाहेंगे? इनमें जो मजदूर हैं, वे तो शायद भारतीय कारखानों में खप जाएंगे लेकिन ऊंचे वेतन वाले लोग बड़ा सिरदर्द खड़ा कर सकते हैं।
अभी तक 4-5 लाख लोगों ने ही भारत लौटने की अर्जी भेजी है। यह संख्या कई गुना बढ़ सकती है। यदि अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में कोरोना का प्रकोप शांत नहीं हुआ तो मानकर चलिए कि सारी दुनिया में फैले डेढ़-दो करोड़ प्रवासी भारतीय वापस लौटने की इच्छा रखेंगे।