आम आदमी पार्टी पर भारतीय जनता पार्टी की 'बी टीम’ या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की दत्तक संतान होने के आरोप यूं ही नहीं लगते हैं। खुद आम आदमी पार्टी भी मौके-मौके पर अपने चाल-चलन से इन आरोपों की पुष्टि करती रहती है। इस समय दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में सांप्रदायिक दंगे के बाद अतिक्रमण हटाने के नाम पर वहां के रहवासियों के मकान-दुकान तोड़े जाने के मामले में भी वह यही कर रही है।

जहांगीरपुरी में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जब सवाल उठे तो आम आदमी पार्टी ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों का राग क्यों अलापा? क्या अरविंद केजरीवाल की राजनीति भी हिंदुत्व की होकर रह गई है?
आम आदमी पार्टी दिल्ली में पिछले साढ़े सात साल से सरकार चला रही है। पिछले दोनों विधानसभा चुनाव में उसे मिले भारी बहुमत में मुसलिम समुदाय के एकतरफ़ा समर्थन का भी योगदान रहा है। इसके बावजूद उसने हर मौक़े पर यह सावधानी बरती है कि उस पर सर्वसमावेशी पार्टी या मुसलमानों की हितैषी होने का 'आरोप’ चस्पां न हो जाए। यही नहीं, वह कई मौकों पर अपने राजनीतिक कर्मकांडों के जरिए यह जताने में भी पीछे नहीं रही कि वह बीजेपी से ज़्यादा हिंदू हितों का ध्यान रखने और उनकी धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करने वाली पार्टी है।