यह ठीक है कि हिंदू की यह व्यापक और उदार परिभाषा सावरकर को स्वीकार नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘हिंदुत्व’ में लिखा है कि हिंदू वही है, जिसकी पितृभूमि और पुण्यभूमि, दोनों ही भारत हो अर्थात भारतीय मुसलमानों की पुण्यभूमि मक्का-मदीना और ईसाइयों की रोम है तो वे हिंदू कैसे कहला सकते हैं?