किसी भी राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री को अपने ही नागरिकों के साथ क्या बात करना चाहिए, ख़ासकर उस स्थिति में जिससे आज सारी दुनिया गुजर रही है। यानी, कोई भी एक मुल्क दूसरे मुल्क की उस तरह से मदद करने की हालात में नहीं है जैसा कि एक अलिखित व्यवहार आमतौर पर आपदाओं के दौरान होता आया है?