किसी भी राष्ट्राध्यक्ष या प्रधानमंत्री को अपने ही नागरिकों के साथ क्या बात करना चाहिए, ख़ासकर उस स्थिति में जिससे आज सारी दुनिया गुजर रही है। यानी, कोई भी एक मुल्क दूसरे मुल्क की उस तरह से मदद करने की हालात में नहीं है जैसा कि एक अलिखित व्यवहार आमतौर पर आपदाओं के दौरान होता आया है?
कोरोना: स्वास्थ्य कर्मियों की दिक्कतों, टेस्टिंग पर कब बात करेंगे पीएम मोदी?
- विचार
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- 4 Apr, 2020

उम्मीद यह की जा रही थी कि प्रधानमंत्री अपने संबोधन में लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद बनने वाली स्थितियों को लेकर बात करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ठीक नौ बजे जिस बात का आह्वान किया, क्या देश की एक सौ तीस करोड़ जनता रात भर से सांसें रोककर इसी आह्वान की प्रतीक्षा कर रही थी? क्या वह कुछ ऐसा नहीं सोच रही थी कि मोदी दस दिनों के बाद ‘लॉकडाउन’ के सम्भावित तौर पर ख़त्म होने और उसके बाद बनने वाली परिस्थितियों में राष्ट्र से अपेक्षा का कोई संकेत देकर उसे आश्वस्त करेंगे? पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।