आरएसएस की तारीफ़ को विपक्ष ने संविधान पर हमला बताया है। इस बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। पढ़िए, पूर्व में भारत के राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के विशेष कार्य अधिकारी रहे एस. एन. साहू क्या लिखते हैं।
26 नवंबर 1949 को जब संविधान को अपनाया गया, उसके ठीक चार दिन बाद आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइज़र’ ने लिखा था कि इस संविधान में कुछ भी "भारतीय" नहीं है।
मोदी ने अपने भाषण में संविधान की 75वीं वर्षगांठ और आरएसएस के 100 वर्ष को एक साथ रखकर दोनों के बीच एक ऐसा संबंध दर्शाया, जो नेवले और नाग के बीच के रिश्ते जैसा है।