कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई। इस बात का पता चलना शेष है कि कम से कम उन मुख्यमंत्रियों की ही ओर से जो सोनिया गाँधी का ‘ही कहा’ या ‘कहा भी’ मानते हैं, केंद्र को कठघरे में खड़ा करने या विचलित करने वाला ऐसा एक भी सवाल प्रधानमंत्री या उनके साथ बैठे लोगों से पूछा गया हो जिसका कि जवाब उनके राज्य की जनता माँग रही है।
इस बात का पता चलना शेष है कि कम से कम उन मुख्यमंत्रियों की ही ओर से जो सोनिया गाँधी का ‘ही कहा’ या ‘कहा भी’ मानते हैं, केंद्र को कठघरे में खड़ा करने या विचलित करने वाला ऐसा एक भी सवाल प्रधानमंत्री या उनके साथ बैठे लोगों से पूछा गया हो जिसका कि जवाब उनके राज्य की जनता माँग रही है। पत्रकारों की तरह दबी ज़ुबान में ही सही पूछा जा सकता था कि क्या स्थिति नियंत्रण में है और सामान्य की तरफ़ लौट रही है? ख़स्ता वित्तीय हालात किस तरह संभलने वाली है? फ़सलें खड़ी हैं, मज़दूर ग़ायब हैं।
इस बात पर केवल ख़ेद ही व्यक्त किया जा सकता है कि जिन सवालों के जवाब माँगे जाने चाहिए उन्हें कोई पूछने की हिम्मत भी नहीं कर रहा है, विपक्ष भी नहीं। और जो कुछ कभी पूछा ही नहीं गया उसके जवाब हर तरफ़ से प्राप्त हो रहे हैं। इस बीच भूलना नहीं है कि आज रात नौ बजे नौ मिनट के लिए बिना बेचैन हुए हम सबको क्या करना है।