सवाल किसी उद्योगपति गौतम अडानी के तमाम सरकारों को करोड़ों रुपये घूस दे कर महंगे दर पर बिजली बेचने का दीर्घकालिक अग्रीमेंट कर गरीब जनता और टैक्स पयेर्स की गाढ़ी कमाई हड़पने का नहीं है। सवाल यह भी नहीं है कि द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट संख्या (4)  में वर्णित दो किस्म के भ्रष्टाचार में से एक-- कोल्युसिव (मिलकर) – किस्म के इस सिस्टमिक करप्शन की गहराई और विस्तार ने पूरे भारत की छवि दुनिया में कितनी गिराई। सवाल इसका भी नहीं है कि इतने बड़े घोटाले में कोड नेम “नुमेरो उनो” (नंबर वन) अडानी का था या नहीं या “नुमेरो उनो माइनस वन” उसकी एक कंपनी के सीईओ विनीत जैन का था या कोई और का।