सोमवार शाम को जब सारे अंग्रेजी और बड़े चैनल प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ घनिष्ठता बताती तस्वीरें दिखाने, विशेषज्ञों से उनका मतलब बताने और मोदी जी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए भारत विरोधी फैसलों की काट ढूँढने का दावा कर रहे थे तब अधिकांश छोटे चैनल और यू ट्यूब वाले प्रसारण बिहार की राजधानी में राहुल गांधी-तेजस्वी की रैली की चर्चा में मगन थे। इसका कारण कई हो सकते हैं, पर इतना साफ है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने भी बराबरी की दिलचस्पी पैदा की है। पहली सितंबर को उसका समापन था और भारी भीड़ उमड़ी थी। यह भी हुआ कि प्रशासन ने आयोजकों को गांधी मैदान में सभा की इजाजत नहीं दी तो वे आंबेडकर चौक तक जाना चाहते थे। रैली को वहां तक भी पहुँचने नहीं दिया गया।
वोटर अधिकार यात्रा के बाद अब होगी राहुल गांधी की असली परीक्षा?
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- 2 Sep, 2025

नेता विपक्ष राहुल गांधी
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा पूरी होने के बाद अब असली राजनीतिक परीक्षा सामने है। क्या जनता का समर्थन चुनावी नतीजों में बदल पाएगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
शुरुआती योजना लोगों की भारी भीड़ के साथ इंडिया गठबंधन के नेताओं को जुटाकर राजनैतिक संदेश देने की थी। पर नीतीश राज में शायद पहली बार इस तरह की राजनैतिक रोक-टोक दिखाई दी। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी को सासाराम में अपनी यात्रा की शुरुआत की इजाजत भी काफी देर से दी गई और रात के अंधेरे में मोटरसाइकिल के हेडलैंप की रोशनी में हेलीपैड बनाना पड़ा। सब मुश्किलें पार करके यात्रा में सफल रहने के बाद अब उनकी असली परीक्षा शुरू हो रही है।