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'इंडिया' गठबंधन विधानसभा के लिए नहीं तो केंद्र पर बाद में सोचेंगे: अखिलेश

क्या इंडिया गठबंधन दलों के बीच वैसा कुछ होने के आसार हैं जैसा बीजेपी चाहती है? कम से कम सपा नेता अखिलेश यादव के तेवर से तो वैसा ही कुछ लगता है! बीजेपी नहीं चाहेगी कि चुनावों में उसको इंडिया गठबंधन जैसे मज़बूत दावेदार का सामना करना पड़े। अखिलेश का यह ग़ुस्सा बीजेपी पसंद ही करेगी! अखिलेश ने कहा है कि यदि उनको पता होता कि इंडिया गठबंधन विधानसभा स्तर पर नहीं है तो उनकी पार्टी के लोग कभी मिलने नहीं जाते।

अखिलेश यादव की यह टिप्पणी तब आई है जब मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ सीटों को लेकर कोई समझौता नहीं हो पाया है। कांग्रेस सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पहले ऐसा माना जा रहा था कि वह सपा को भी कुछ सीटें दे सकती है। अखिलेश यादव ने कहा कि इसको लेकर सपा की कांग्रेस के साथ बातचीत चली भी और देर रात तक बैठकें हुईं। लेकिन अब उन्होंने कहा है कि कोई गठबंधन नहीं है।

इस बात से ग़ुस्साए अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'यदि यह मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है इंडिया का, तो उसमें कभी मिलने नहीं जाते हमारी पार्टी के लोग। न हम अपनी पार्टी की सूची देते कांग्रेस के लोगों को और न फोन उठाते कांग्रेस के लोगों के। लेकिन यदि उन्होंने यह बात कही है तो हम यह बात स्वीकार करते हैं। यदि गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उस समय विचार किया जाएगा।'

इसके साथ ही सपा नेता ने कांग्रेस को चेतावनी दे दी है कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। उन्होंने कहा, 'जैसा व्यवहार होगा समाजवादी पार्टी के लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार उनको देखने को मिलेगा यहाँ पर।'

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अखिलेश यादव ने गुरुवार को कहा कि विपक्षी इंडिया गठबंधन केवल राष्ट्रीय स्तर पर है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस से यह साफ़ करने के लिए कहा था कि क्या गठबंधन राज्य स्तर पर भी है?

पत्रकारों से उन्होंने गुरुवार को कहा, '

अब हमारे पास जानकारी है कि गठबंधन केवल केंद्र के स्तर पर है। ठीक है, समय आने पर हम दिल्ली के बारे में बात करेंगे। अब जब हमने स्वीकार कर लिया है कि गठबंधन राज्य चुनावों पर लागू नहीं होता है, तो हम आगे बढ़े और उन चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है।


अखिलेश यादव, सपा प्रमुख

बता दें कि मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सपा ने 31 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। पार्टी के मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी व्यासजी गोंड ने कहा है कि वे सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेंगे।

सपा राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए उत्तर प्रदेश के बाहर विस्तार करने की कोशिश कर रही है। सपा ने उत्तर प्रदेश के बाहर अपनी सबसे बड़ी सफलता 2003 में मध्य प्रदेश में दर्ज की थी जब उसने 161 सीटों पर चुनाव लड़कर सात पर जीत हासिल की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में उसने 52 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट जीती। 

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अखिलेश ने यह भी कहा है कि अगर उन्हें पता होता कि प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं होगा तो सपा प्रतिनिधि सीट बँटवारे की सूची लेकर कांग्रेस के पास नहीं जाते। अखिलेश ने यह भी कहा है कि उनकी पार्टी 2024 के राष्ट्रीय चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

बता दें कि विपक्षी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, सपा सहित 26 दल शामिल हैं। उन्होंने सितंबर में संकल्प लिया है कि 2024 का चुनाव जहाँ तक संभव हो एक साथ लड़ा जाए। तब उन्होंने कहा था कि राज्यों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था तुरंत शुरू की जाएगी। सीट बंटवारे जैसे मुद्दों से निपटने के लिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने 14 सदस्यीय समन्यव समिति बनाई है। विपक्षी इंडिया के समन्यव समिति में 14 अलग-अलग दलों के नेताओं को शामिल किया गया है। इसमें केसी वेणुगोपाल, शरद पवार, एमके स्टालिन, संजय राउत, तेजस्वी यादव, अभिषेक बनर्जी, राघव चड्ढा, जावेद अली खान, लल्लन सिंह, हेमंत सोरेन, डी राजा, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेता शामिल किए गए हैं। हालाँकि सीट-शेयरिंग का फॉर्मूला अभी सामने नहीं आ पाया है। गठबंधन ने कहा है कि यह फ़ॉर्मूला जल्द ही सामने आ जाएगा। 

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रिपोर्टें आती रही हैं कि कांग्रेस छोड़ बाक़ी दल सीट बँटवारे पर फ़ैसला चाहते हैं। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की संभावना के मद्देनजर कुछ कांग्रेस नेता चाहते हैं कि 2024 के सीट बंटवारे पर बातचीत नवंबर के बाद हो। पार्टी के इन पांच में से कुछ राज्यों में लौटने या एमपी में सरकार बनने की स्थिति में कांग्रेस और मजबूत होगी। ऐसे में इंडिया के सहयोगियों से बातचीत उसे ज्यादा प्रभावशाली बनाएगी।

पाँच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 7 से 30 नवंबर के बीच चुनाव होंगे, जबकि नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। 2024 के चुनावों से पहले यह आखिरी बड़ी चुनावी कवायद होगी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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