loader

एससी-एसटी, ओबीसी पर है बीजेपी का फोकस; कांग्रेस को सुध नहीं?

एक वक्त में ब्राह्मण-बनिया और सवर्ण समुदाय की पार्टी समझी जाने वाली बीजेपी का फोकस अब एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय पर है। पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने यह दिखाया है कि वह इन वर्गों को शिद्दत के साथ पार्टी से जोड़ना चाहती है। उसने न केवल सिर्फ इसकी बात की है बल्कि इस समुदाय की बेहतरी के लिए कई कदम भी उठाए हैं। 

हालांकि जाति जनगणना के मसले पर अभी भी वह तैयार नहीं है लेकिन वह राजनीतिक रूप से एससी-एसटी, ओबीसी को ज्यादा ताकत देने का काम कैसे कर रही है, इसे समझने की जरूरत है। 

वामपंथी राजनीतिक दल और इस विचारधारा के समर्थक बीजेपी को ब्राह्मण और सवर्ण समुदाय की पार्टी साबित करने की कोशिश करते हैं लेकिन बीजेपी ने दिखाया है कि वह अब वह सभी जातियों की पार्टी है। इसके साथ ही वह पसमांदा मुसलमानों को भी अपने साथ जोड़ने की काम में जुट रही है। 

ताज़ा ख़बरें

राज्यसभा चुनाव

हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने कई राज्यों में एससी-एसटी, ओबीसी समुदाय के नेताओं को तरजीह दी है। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश से बीजेपी के दो नेताओं को राज्यसभा में भेजा जाना था। पार्टी ने ओबीसी समुदाय से आने वालीं कविता पाटीदार और दलित समुदाय से आने वालीं सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा भेजा। दोनों ही महिला भी हैं और ऐसा करके पार्टी ने ओबीसी और दलित समुदाय के नेताओं को सीधा संदेश दिया कि वह इस वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाने का काम करेगी। 

इसी तरह सवर्ण समुदाय की अधिकता वाले उत्तराखंड में राज्यसभा की एक सीट खाली थी। यहां किसी को उम्मीद नहीं थी कि पार्टी ओबीसी समुदाय से आने वाली किसी महिला नेता को मौका देगी। लेकिन पार्टी ने यहां से कल्पना सैनी को राज्यसभा भेजा। 

सियासत में पूरा खेल ही जातियों का है। अगर आपको केंद्र या राज्य में सरकार बनानी है तो जिन जातियों की आबादी ज्यादा है, उन्हें ज्यादा मौके देने ही होंगे। 

सियासत में सीधा फॉर्मूला काम करता है जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। शायद बीजेपी इस बात को बेहतर ढंग से समझ रही है लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इससे अनजान दिखती है।

इसी तरह राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 6 सीटों पर सवर्ण, दलित और ओबीसी समुदाय के बीच तालमेल बनाते हुए अलग-अलग जातियों के नेताओं को उम्मीदवार बनाया। यहां पार्टी ने ओबीसी वर्ग से आने वाले सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद और संगीता यादव को टिकट दिया तो सवर्ण समुदाय में ब्राह्मण समाज से लक्ष्मीकांत वाजपेयी, वैश्य से डॉक्टर राधा मोहन अग्रवाल और क्षत्रिय समुदाय से डॉक्टर दर्शना सिंह को राज्यसभा भेजा। 

BJP focus on SC ST and OBC  - Satya Hindi
इसके अलावा उत्तर प्रदेश से एससी-एसटी समुदाय से आने वाले मिथिलेश कुमार जबकि ओबीसी समुदाय से आने वाले डॉक्टर के. लक्ष्मण को भी पार्टी ने राज्यसभा भेजा है। इसके अलावा नीट परीक्षा में ओबीसी छात्रों के लिए 27 फ़ीसदी आरक्षण पर भी मोदी सरकार ने मुहर लगाई थी। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने बड़ी संख्या में ओबीसी समुदाय के नेताओं को टिकट दिया था। 

इसी तरह हरियाणा में बीजेपी ने दलित समुदाय से आने वाले कृष्ण लाल पंवार को उम्मीदवार बनाकर चुनाव जिताया जबकि हरियाणा में बहुसंख्यक जाट समुदाय के कई नेता भी टिकट की दौड़ में थे। 

BJP focus on SC ST and OBC  - Satya Hindi

5 टिकट एक ही जाति को 

दूसरी ओर, कांग्रेस ने राज्यसभा की 10 सीटों पर जो उम्मीदवार दिए थे, उसमें से पांच उम्मीदवार ब्राह्मण जाति के नेताओं को बनाया गया था जबकि पांच टिकट अलग-अलग जातियों को दिए जाते तो पार्टी को फायदा होता। उम्मीदवारों में भी प्रियंका-राहुल के करीबियों को ही जगह मिली जिससे पार्टी कैडर में बेहद खराब संदेश गया और उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल भी उठे। 

लगातार चुनावी हार का सामना कर रही कांग्रेस शायद इस बात को समझ नहीं पा रही है कि अब एससी-एसटी, ओबीसी समुदाय अपनी आबादी के हिसाब से राजनीतिक हिस्सेदारी चाहता है। और इसके लिए सिर्फ बातें करने से काम नहीं होगा बल्कि हिस्सेदारी भी देनी होगी।

मोदी कैबिनेट का विस्तार 

यहां पर जुलाई 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट के विस्तार पर भी बात करनी होगी। तब हुए विस्तार में 43 मंत्रियों ने शपथ ली थी जिसमें से 14 ओबीसी समुदाय, 9 दलित समुदाय और चार आदिवासी समुदाय से भी थे। इसके बाद मोदी कैबिनेट में ओबीसी मंत्रियों की संख्या 27, दलित समुदाय के मंत्रियों की संख्या 12 और आदिवासी समुदाय के मंत्रियों की संख्या 8 हो गई है। यह आंकड़ा कैबिनेट में कुल मंत्रियों का 61 फ़ीसदी है। 

BJP focus on SC ST and OBC  - Satya Hindi

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी 

ताजा मामला राष्ट्रपति के चुनाव का है जहां पर बीजेपी ने अपनी पुरानी कार्यकर्ता और आदिवासी समुदाय से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया। द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने से विपक्षी एकता बुरी तरह दरक गई और बड़ी संख्या में विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ होते हुए भी मुर्मू के साथ आ खड़े हुए। 

जबकि विपक्ष पहले किसी उम्मीदवार को खोज ही नहीं सका और बाद में उसे बीजेपी के ही पूर्व नेता को उम्मीदवार बनाना पड़ा। अगर वह बेहतर रणनीति बनाता तो एससी-एसटी, ओबीसी समुदाय के किसी नेता को इस पद पर चुनाव लड़ने के लिए राजी कर सकता था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। 

बीजेपी ने 2017 में राष्ट्रपति के चुनाव में दलित समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया था। 

राजनीति से और खबरें

इस तरह पता चलता है कि बीजेपी जहां एससी-एसटी, ओबीसी समुदाय के नेताओं को साध रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस मामले में शून्य दिखाई देती है। 

देखना होगा कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल आखिर बीजेपी के इस सियासी और रणनीतिक दांव की काट कैसे निकालते हैं। लेकिन इतना तय है बीजेपी ने खुद को बदलने की कोशिश की है और निश्चित रूप से उसे इसका फायदा भी मिला है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
पवन उप्रेती
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें