संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू
भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कुछ 'मित्र सांसदों' को धन्यवाद दिया है। रिजिजू ने यह साफ नहीं किया कि वो मित्र सांसद किन दलों के थे। इससे विपक्षी दलों में हंगामा मच गया है। विपक्षी नेता मनीष तिवारी ने क्रॉस वोटिंग की गहन जांच की मांग की है।
बुधवार को हुए इस चुनाव में कुल 767 निर्वाचकों ने वोट डाले, जिसमें से 752 वैध वोट गिने गए। एनडीए के सीपी राधाकृष्णन को 452 प्रथम पसंद के वोट मिले, जबकि विपक्ष समर्थित उम्मीदवार जस्टिस (रिटायर्ड) बी सुदर्शन रेड्डी को सिर्फ 300 वोट ही प्राप्त हुए। 15 वोट अमान्य घोषित किए गए। राधाकृष्णन ने रेड्डी को जबरदस्त शिकस्त दी, लेकिन वोटिंग के आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
विपक्ष के कुल 315 सांसदों की 100 फीसदी उपस्थिति का दावा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मतगणना से पहले कहा था, "यह अभूतपूर्व 100 फीसदी मतदान है।" लेकिन बीजेपी नेता बीएल संतोष ने एक्स पर पोस्ट कर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "बैलेट पेपर से वोटिंग हुई और इंडिया गठबंधन को उनके सदस्यों की संख्या से 15 वोट कम मिले। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने विवेक से वोट डालने की अपील की थी, उन्होंने वही पाया।" संतोष के इस बयान से क्रॉस वोटिंग की अटकलें तेज हो गईं।
किरण रिजिजू ने इंडिया गठबंधन के 'कुछ मित्र सांसदों' को धन्यवाद देते हुए विपक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने 'विवेक' से वोट की अपील की थी, लेकिन कुछ सांसदों ने एनडीए के पक्ष में मतदान किया। रिजिजू के इस बयान ने विपक्षी खेमे में तूफान ला दिया। दरअसल, रिजिजू ने दो वोट उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर किए हैं। एक ट्वीट अंग्रेजी में है और दूसरा हिन्दी में है। अंग्रेजी ट्वीट में तो उन्होंने इंडिया गठबंधन के मित्र सांसदों शब्द लिखा है। हिन्दी में किए गए ट्वीट में रिजिजू ने लिखा है- उपराष्ट्रपति का चुनाव मतपत्रों के माध्यम से किया गया है। मतदान गुप्त और अंतरात्मा के साथ हुआ। मतदान और मतगणना दोनों दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की गई। दोनों दलों के प्रतिनिधि पूरे समय मौजूद रहे। कोई भी सांसदों का दिल और दिमाग नहीं चुरा सकता। इंडिया गठबंधन का हर दल जांच करेः मनीष
कांग्रेस सांसद मनीष तेवारी ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा, "यदि क्रॉस वोटिंग हुई है, तो इंडिया गठबंधन के हर घटक द्वारा इसकी गहन जांच की जानी चाहिए।" उन्होंने जोर देकर कहा, "क्रॉस वोटिंग एक अत्यंत गंभीर मामला है और यदि सार्वजनिक क्षेत्र में दिख रही बातों में एक भी सच्चाई है, तो एक 'व्यवस्थित और क्लिनिकल' जांच की जानी चाहिए।"
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इंडिया गठबंधन के सांसदों ने वास्तव में क्रॉस वोटिंग की, लेकिन आंकड़ों और बयानों से लगता है कि मामला इससे कहीं अधिक गहरा है। विपक्षी दल अब इसकी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दल इसे विपक्ष की आंतरिक कलह का परिणाम बता रहा है। यह विवाद राजनीतिक माहौल को और गरमा सकता है।