याद कीजिए अगस्त 2024 में, यह भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान थे जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लैटरल एंट्री की किसी भी योजना का विरोध किया। जिसके जरिए मोदी सरकार ने अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को ताक पर रख दिया था। सरकार को उस प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा।
वक्फ बिल को कानून बनाने में बीजेपी ने जो राजनीति अपनाई, उससे साबित हो गया कि मोदी सरकार ने अपनी खोई हुई ऊर्जा को फिर से पा लिया है और अपनी राजनीतिक सत्ता के प्रभुत्व को भी फिर से पा लिया है। यही चिराग पासवान, नीतीश कुमार, चंद्र बाबू नायडू जब रमज़ान और ईद पर इफ्तार दावतों में शामिल हो रहे थे, मुस्लिम टोपी लगा रहे थे तो लग रहा था कि बीजेपी का वक्फ कानून बदलने का सपना एक सपना ही रहेगा। लेकिन इन्हीं तीनों ने इफ्तार दावतों से अलग रुख वक्फ बिल के दौरान दिखाया। मुस्लिम समुदाय अब हतप्रभ है। उसने इनके रुख को देखते हुए ऐसी उम्मीद नहीं की थी।