loader

EWS कोटे पर फ़ैसले के बाद नीतीश क्यों बोले- जाति जनगणना हो?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखे जाने के एक दिन बाद मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की अपनी मांग दोहराई है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि 50 प्रतिशत कोटा सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। उधर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी ने कहा है कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फ़ैसले को चुनौती देगी। डीएमके ने कहा है कि फैसला संविधान में निहित समानता के सिद्धांत पर प्रहार करता है और सामाजिक न्याय के लिए सदियों पुराने संघर्ष के लिए एक झटका है।

सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की संविधान पीठ ने माना है कि यह संशोधन भारत के संविधान की ज़रूरी फीचर्स यानी विशेषताओं का उल्लंघन नहीं करता है। इसके साथ ही अदालत ने 10 फ़ीसदी आरक्षण को बरक़रार रखा है। सुप्रीम कोर्ट सरकार के इस मामले में एक फ़ैसले को दी गई चुनौती पर सुनवाई कर रहा था। 

ताज़ा ख़बरें

सरकार ने 103वां संविधान संशोधन करके आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में भर्ती में 10 फीसदी का आरक्षण दिया था। इस पर 103वें संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद नीतीश कुमार ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने जो फ़ैसला सुनाया वह काफ़ी उचित था। हम हमेशा कोटा के समर्थन में थे। लेकिन अब समय आ गया है कि 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाई जाए। यह सीमा ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) को उनकी आबादी के अनुपात में अवसरों से वंचित कर रही है।' 

नीतीश ने विभिन्न सामाजिक समूहों के आकार का एक नया अनुमान लगाने का आह्वान किया, उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर जाति जनगणना की ज़रूरत भी बताई थी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमें बताया गया था कि राज्य इस तरह की गणना कर सकते हैं। हमने वह काम किया है। लेकिन इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी करने की ज़रूरत है। जाति जनगणना के मुद्दे पर पुनर्विचार होना चाहिए।'
बिहार सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के आधार पर अपनी जाति की जनगणना करता रहा है, हालाँकि राज्य ने 50 प्रतिशत कोटा सीमा को पार नहीं किया है।

पिछले साल लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है।

राजनीति से और ख़बरें

बिहार में बीजेपी को छोड़कर क़रीब-क़रीब सभी पार्टियाँ जाति आधारित जनगणना की मांग करती रही हैं। पिछले साल बिहार के राजनेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर जाति की जनगणना के लिए दबाव डाला था। उस प्रतिनिधिमंडल में नीतीश कुमार के साथ-साथ विपक्षी राजद के तेजस्वी यादव भी शामिल थे।

हालाँकि, तब बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि 'जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकी और व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं, फिर भी बीजेपी सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।' तब उन्होंने ट्वीट में यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी भी शामिल है। हालाँकि, सुशील कुमार के बयान के बाद भी राज्य स्तर पर पार्टी ने न तो जाति जनगणना का खुलकर विरोध किया है, और न ही इसका समर्थन किया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें