भारतीय संविधान की कसम खाने वाले, माथे से लगाने वाले मोदी ने सत्ता में वापस आने के बाद से अपने भाषणों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों का जिक्र करने से भी परहेज किया है। चुनाव के दौरान, मोदी ने बार-बार भारत के मुसलमानों का जिक्र किया वो कैसे भुलाया जा सकता है।
चुनाव नतीजों के बाद, मोदी चाहते तो एनडीए की "गारंटी" का इस्तेमाल वादों को पूरा करने के लिए कर सकते थे। लेकिन उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल ही बंद कर दिया। 4 जून को नतीजों के बाद अपने पहले भाषण में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, 'एनडीए का दूसरा कार्यकाल विकास और विरासत की गारंटी बन गया। 2024 में हम इसी गारंटी के साथ देश के कोने-कोने में लोगों का आशीर्वाद लेने गए। आज तीसरी बार एनडीए को आशीर्वाद मिला है।' इस भाषण में एनडीए को ही महत्व दिया गया।
क्या ब्रांड मोदी की चमक फीकी पड़ीः 4 जून को नतीजे आने के बाद तो खैर मोदी अपना खुद का जिक्र करने से बच रहे हैं और उसमें जबरदस्त गिरावट आई है। लेकिन 30 मई को अंतिम चरण का चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले मोदी ने पंजाब के होशियारपुर, ओडिशा के मयूरभंज और केंद्रपाड़ा और पश्चिम बंगाल के मथुरापुर में जिन चार चुनावी रैलियों को संबोधित किया, उनमें प्रधानमंत्री ने खुद को 29 बार संदर्भित किया। मैं ही मैं था।