राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने की मांग ने देश में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। होसबाले ने गुरुवार को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे और इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया, इसलिए इनकी समीक्षा होनी चाहिए। इस बयान पर कांग्रेस, उसके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, जयराम रमेश और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे 'संविधान की आत्मा पर हमला' करार दिया। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर अभी तक खामोशी बरती है, हालांकि कुछ नेताओं ने जवाब देने की कोशिश की है।
होसबाले विवाद: विपक्ष बोला- संविधान की आत्मा पर हमला; बीजेपी की चुप्पी!
- राजनीति
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- 27 Jun, 2025
RSS नेता दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाने के बयान पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। बीजेपी की चुप्पी ने इस बहस को और भी गरमा दिया है। जानिए पूरा विवाद।

होसबाले का बयान
होसबाले ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कहा, "आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द जोड़े गए- 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष'। ये शब्द मूल प्रस्तावना का हिस्सा नहीं थे। हमें इस पर विचार करना चाहिए कि क्या ये शब्द आज भी प्रासंगिक हैं।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने संविधान के साथ छेड़छाड़ की थी। यह बयान 1975 के आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आया, जिसे आरएसएस और बीजेपी लंबे समय से लोकतंत्र पर हमले के रूप में देखते रहे हैं।