राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा करने की मांग ने देश में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। होसबाले ने गुरुवार को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे और इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया, इसलिए इनकी समीक्षा होनी चाहिए। इस बयान पर कांग्रेस, उसके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, जयराम रमेश और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, इसे 'संविधान की आत्मा पर हमला' करार दिया। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर अभी तक खामोशी बरती है, हालांकि कुछ नेताओं ने जवाब देने की कोशिश की है।