बाढ़ ने पंजाब में आम आदमी पार्टी की अंदरूनी कलह को भी उजागर कर दिया है। पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी अपने संकट को निपटाने में लगी है। एक नई प्रयोगशाला आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब बन गया है। पार्टी के अपने एक अंदरूनी सर्वेक्षण में सामने आया है कि भगवंत मान का ग्राफ भी पंजाब में गिर रहा है और विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की स्थिति बहुत नाजुक हो चुकी है। चर्चाएँ हैं कि लोगों में मुख्यमंत्री भगवंत मान से उमीदें टूट चुकी हैं कि वो मजबूती से कुछ निर्णय कर पाएंगे। 

'दिल्ली लॉबी' कथित तौर पर प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहा है और अपना नियंत्रण बनाये हुए है, उसकी चर्चाएँ पूरे पंजाब में आम तौर पर लोगों में होने लगी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का अरविंद केजरीवल के साथ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर न जाने और अचानक उनकी तबियत ख़राब होने के चलते अस्पताल में भर्ती होने से अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। सियासी हलकों में कुछ घटनाओं को संकेतों के तौर पर भी परखा जाता है। निरंतर पंजाब में सक्रिय रहने वाले अरविन्द केजरीवाल ने बाढ़ के हालात में कई दिनों बाद पंजाब की सुध ली है। सबसे पहले बाढ़ की चपेट में आये जिला गुरदासपुर अमृतसर की बजाये केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने पंजाब के सुल्तानपुर लोधी में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा उस दिन किया जब उनकी दिल्ली की अदलात में शराब घोटाले के ममले में पेशी थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान चाहते थे कि पहले अमृतसर, गुरदासपुर, अजनाला, बटाला का दौरा किया जाये। कयास लगाया जाने लगा है कि अरविन्द केजरीवाल के पंजाब पर नियंत्रण की कोशिश में भगवंत मान को राज्यसभा जाने को कहा गया है।
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बदलाव की तैयारी?

2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की फिर से जीत की संभावनाओं को बरकरार रखने के लिए केजरीवाल प्रदेश में नेतृत्व में परिवर्तन करने के तौर पर अमृतसर साउथ से विधायक और कैबिनेट मंत्री नए सिख चेहरे इंदरबीर सिंह निझर को आगे बढ़ाना चाहते हैं जिन्हें प्रोटेम स्पीकर भी नियुक्त किया गया था। साथ में उप-मुख्यमंत्री के तौर पर हिन्दू चेहरा अमन अरोड़ा और पंजाब में एक बड़े वर्ग अनुसूचित जाति को साधने के लिए वर्तमान वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा को लाना चाहते हैं। भगवंत मान इस पर आपत्ति को अपनी सियासी मजबूरी की वजह से व्यक्त करने में असमर्थ हैं। पिछले साल 2024 में भगवंत मान को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा कर हिन्दू चेहरा अमन अरोड़ा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। केजरीवाल प्रदेश में मतदाताओं के नए राजनीतिक समीकरण गढ़ने की रणनीति पर चलते हुए साफ़ दिखयी देते हैं।

पटियाला जिला के सनौर विधानसभा के विधायक हरमीत सिंह पठनमाजरा ने जिस तरह बाढ़ के लिए प्रदेश सरकार पर सवाल उठाये और कथित 'दिल्लीवालों' की लूट को अब्दाली की लूट से बड़ा बताया उससे भी पंजाब की सियासत में बड़ी हलचल हो गयी है। इस घटना ने भगवंत मान और अरविन्द केजरीवाल के बीच की खाई को और बढ़ा दिया है। हरमीत सिंह पठनमाजरा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को दिल्ली के बजाय पंजाब के हितों के लिए खड़ा होने और अन्य विधायकों को भी साथ लेने की बात की। 

पंजाब में जिस तरह 'दिल्ली' के नियंत्रण का ढाँचा बनाया गया है उससे पंजाब के बहुत से विधयक असंतुष्ट हैं। कई विधायकों के आगामी चुनावों में टिकट कटने की आशंकाओं के चलते भी एक अनिश्चितता का वातावरण व्याप्त है।

बाढ़ से फ़सलें तबाह

1988 में पंजाब में अभूतपूर्व बाढ़ की स्थितियाँ बनी थीं जिसके बाद प्रदेश में सरकार के प्रति एक बड़ा आक्रोश प्रदेश में उभरा था। वर्तमान में पंजाब की सीमा से लगते हुए 8 जिलों को बाढ़ ने अपनी चपेट में लिया है। पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, कपूरथला, तरनतारण, फिरोजपुर, फाजिल्का के खेतों में खड़ी धान की फसल लगभग डूब गई है। सबसे बड़ी कठिनाई मवेशियों पर बन आई है। पंजाब के किसानों की आर्थिकी की रीढ़ बेजुबान जानवरों के बचाव के लिए और उनके चारे और बीमारियों से बचाव की व्यवस्था के कितने पुख्ता प्रबंध किये गए हैं, ये साफ़ नहीं। बाढ़ के बाद पुनर्वास और जनजीवन में होनेवाली कठिनाइयों की चुनौती पंजाब सरकार के लिए बड़ी हो गई है।
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भगवंत मान क्या बोले?

प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि स्थितियाँ काफी विकट हैं और सरकार की ओर से हर संभव प्रयास लोगों और मवेशियों की रक्षा के लिए किये जा रहे हैं। अब सवाल यह भी उठने लगे हैं कि प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र ने मानसून में होने वाली परिस्थितियों का आकलन समय रहते क्यों नहीं किया? पंजाब की भौगोलिक स्थिति और उसमें से गुजरने वाली नदियों की क्षमता तथा अलग-अलग बांधों का प्रबंधन और आपदा में संचालन पहले से ही तय मानकों के अनुसार किया जाता रहा है। मुख्यमंत्री भगवांत मान और पंजाब सरकार का पूरा तंत्र किस मुगालते में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से रोकने में विफल रहा, यह भी हैरान करने वाला है। मुख्यमंत्री  ने केंद्र सरकर से गुहार लगाई है कि राज्य को विशेष सहायता दी जानी चाहिए ताकि लोगों को हुए नुक़सान का उचित मुआवजा समय पर दिया जा सके। लेकिन आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच टकराव की स्थितियों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

अब सवाल पंजाब में सियासी संघर्ष के परिणमों पर टिक गया है। केंद्र की बीजेपी सरकार और नेतृत्व पंजाब में नयी संभावनाओं पर नजर बनाये हुए है। राजनीति में समझौते और संधियां समय अनुसार आकार भी लेती हैं। केजरीवल परिवर्तन को प्रेरणा मानते रहे हैं। पिछले वर्ष पंजाब के होशियारपुर में अपनी विपश्यना करने के बाद अरविन्द केजरीवल सीधे अमृतसर पहुंचे थे और अपने ठहरने के लिए इंदरबीर सिंह के घर को ही चुना था।