loader
एन बीरेन सिंह

मणिपुर: 10 विधायक पीएम से बोले- पहाड़ों के लिए डीजीपी, मुख्य सचिव पद दें

मणिपुर हिंसा के बाद कुकी-ज़ोमी समुदाय के लोग आख़िर मुख्यमंत्री और प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप क्यों लगा रहे हैं? और क्या अब इस समुदाय के विधायकों ने इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखा है? ये ख़त लिखने वालों में अधिकतर विधायक बीजेपी के ही हैं।

दरअसल, मणिपुर के दस कुकी-ज़ोमी विधायकों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि उन पांच पहाड़ी जिलों के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक या इसके समकक्ष पद सृजित किए जाएं जहां जातीय हिंसा भड़कने के बाद से समुदाय के सदस्य रह रहे हैं। इन दस में से 7 विधायक भाजपा के हैं। ये विधायक वही हैं जिन्होंने मणिपुर के कुकी-ज़ोमी निवासियों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की थी।

ताज़ा ख़बरें

यह घटनाक्रम तब हो रहा है जब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार 21 अगस्त को मणिपुर विधानसभा के एक विशेष सत्र में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश कर सकती है। इस प्रस्ताव का मतलब है कि सरकार कुकी ज़ोमी की इस तरह की मांग के खिलाफ जा सकती है।

मणिपुर में पिछले साढ़े तीन महीने से हिंसा हो रही है। राज्य में अब तक 150 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। मणिपुर में हिंसा की वजह दो समुदायों- मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चली आ रही तनातनी है। कहा जा रहा है कि यह तनाव तब बढ़ गया जब मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही जाने लगी। इसको लेकर हजारों आदिवासियों ने राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में एक मार्च निकाला। इन जिलों में अधिकांश आदिवासी आबादी निवास करती है। यह मार्च इसलिए निकाला गया कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध किया जाए। मैतेई समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 53% है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है।

मणिपुर मुख्य तौर पर दो क्षेत्रों में बँटा हुआ है। एक तो है इंफाल घाटी और दूसरा हिल एरिया। इंफाल घाटी राज्य के कुल क्षेत्रफल का 10 फ़ीसदी हिस्सा है जबकि हिल एरिया 90 फ़ीसदी हिस्सा है। इन 10 फ़ीसदी हिस्से में ही राज्य की विधानसभा की 60 सीटों में से 40 सीटें आती हैं। इन क्षेत्रों में मुख्य तौर पर मेइती समुदाय के लोग रहते हैं।
कुकी-ज़ोमी समुदाय के लोग हिंसा की शुरुआत से ही बीरेन सिंह सरकार के ख़िलाफ़ हैं। वे उन पर पक्षपात के आरोप लगाते रहे हैं। क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एनडीए सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस यानी केपीए ने एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
इसी बीच अब 10 विधायकों ने जो ख़त लिखा है उसमें भी उन्होंने हिंसा के वक़्त की पीड़ा को व्यक्त किया है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार 16 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि 3 मई के बाद से इम्फाल में सरकारी कर्मचारियों, व्यापारियों के रूप में रहने वाले कुकी-ज़ोमी पर ग्रेटर इम्फाल क्षेत्र में मैतेई भीड़ के साथ-साथ मैतेई मिलिशिया द्वारा विनाशकारी हमले हुए हैं।
राज्य से और ख़बरें

रिपोर्ट के अनुसार ज्ञापन में कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है जहां कुकी-ज़ोमी लोगों को कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया, छेड़छाड़ की गई, बलात्कार किया गया और मार दिया गया। इसमें थानलॉन विधायक वुंगज़ागिन वाल्टे पर हमले का हवाला देते हुए कहा गया है, 'यहां तक कि राज्य विधानसभा के सदस्यों को भी नहीं बख्शा गया, जिन्हें पीटा गया और मृत अवस्था में छोड़ दिया गया।' वाल्टे का ड्राइवर मारा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि दो कैबिनेट मंत्रियों के घर जलकर राख हो गए।

ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, 'लगभग हर दिन पहाड़ी जिलों के गांवों पर हमला करके कुकी-ज़ो पहाड़ी आदिवासियों के खिलाफ युद्ध छेड़ते रहते हैं।' वे हिंसा को 'कुकी-ज़ो आदिवासियों के खिलाफ एक राज्य प्रायोजित युद्ध' भी कहते हैं।

manipur 10 mlas letter to mp modi for hills dgp chief secretary post - Satya Hindi

बीरेन सिंह के बारे में अमित शाह ने क्या कहा था?

कुछ दिनों पहले लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के दौरान सीएम को नहीं हटाने के सवाल पर गृहमंत्री अमित शाह ने यह कहते हुए उनका बचाव किया कि इस सीएम ने केंद्र के साथ सहयोग किया है'। उन्होंने कहा, 'जब कोई राज्य का सीएम सहयोग नहीं कर रहा हो तो उसे बदलने की ज़रूरत होती है। इस सीएम ने केंद्र के साथ सहयोग किया है।'

तब अमित शाह संसद में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रख रहे थे। अमित शाह ने मणिपुर में तनाव के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने पहले से ही तनाव होने का ज़िक्र करते हुए कहा, 'अप्रैल माह में हाईकोर्ट के आदेश ने आग में घी डालने का काम किया'। मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश ने तब राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राज्य से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें