इंदौर में डॉक्टर्स पर हुए हमले के बाद मुसलिम समाज के लोगों ने अख़बार में विज्ञापन देकर माफ़ी मांगी है। ऐसे लोगों की सराहना की जानी चाहिए।
लम्बे समय तक चल सकने वाले लॉकडाउन के दौरान हमें इस एक सम्भावित ख़तरे के प्रति भी सावधान हो जाना चाहिए कि अपने शरीरों को ज़िंदा रखने की चिंता में ही इतने नहीं खप जाएँ कि हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक आत्माएँ और आस्थाएँ ही मर जाएँ।
जिन सवालों के जवाब माँगे जाने चाहिए उन्हें कोई पूछने की हिम्मत भी नहीं कर रहा है, विपक्ष भी नहीं। और जो कुछ कभी पूछा ही नहीं गया उसके जवाब हर तरफ़ से प्राप्त हो रहे हैं।
कोरोना के संकट से निपटने के लिये डॉक्टर्स की बड़ी संख्या में तो ज़रूरत है ही, हमें भविष्य के लिये भी अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा।
प्रधानमंत्री ने समूचे देश को आश्चर्यचकित करते हुए भाव-विभोर कर दिया। जनता इस तरह से भावुक होने के लिए तैयार ही नहीं थी। पिछले छह-सात सालों में ‘शायद’ पहली बार ऐसा हुआ होगा कि 130 करोड़ लोगों से उन्होंने अपने ‘मन की बात’ इस तरह से बाँटी होगी।