लम्बे समय तक चल सकने वाले लॉकडाउन के दौरान हमें इस एक सम्भावित ख़तरे के प्रति भी सावधान हो जाना चाहिए कि अपने शरीरों को ज़िंदा रखने की चिंता में ही इतने नहीं खप जाएँ कि हमारी व्यक्तिगत और सामूहिक आत्माएँ और आस्थाएँ ही मर जाएँ और हमें आभास तक न हो। ऐसा होना सम्भव है। महायुद्धों की विभीषिकाओं के बाद लोग या तो हर तरह से कठोर हो जाते हैं या फिर पूरी तरह से टूट जाते हैं। हमें बताया गया है कि हम इस समय महाभारत जैसे ही युद्ध में हैं और उसे तीन सप्ताह में जीत कर दिखाना है। हमने चुनौती स्वीकार भी कर ली थी। तीन सप्ताह का समय भी अब ख़त्म होने को है।