ख़बर है कि बिहार बीजेपी के सांगठनिक सचिव भिखू भाई दलसानिया ने राज्य बीजेपी के 23 पदाधिकारियों के साथ पटना में बैठक की और मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम में बूथ स्तर पर पार्टी के लोगों की सक्रियता सुनिश्चित करने को कहा। ऐसा इस अभियान से हो सकने वाले संभावित नुकसान को रोकने के लिए किया जा रहा है। इस पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष हंगामा मचा रहा है और सुप्रीम कोर्ट में 26 याचिकाएँ दाखिल की गई हैं। उल्लेखनीय है कि किसी ने भी इस प्रक्रिया पर रोक की मांग नहीं की है। अदालत ने एक बार की सुनवाई में सरकारी वकील से कई बातों का स्पष्टीकरण मांगने के बाद मतदाता पहचान पत्र बनाने में आधार कार्ड, पुराने मतदाता पहचान-पत्र और राशन कार्ड को भी विचार के लिए शामिल करने का सुझाव दिया जिन्हें चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान के लिए ज़रूरी 11 दस्तावेजों में शामिल नहीं किया था। इसे ही लेकर सबसे ज़्यादा विवाद रहा है।
क्या SIR हर किसी की नागरिकता को संदिग्ध बना देगा?
- विचार
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- 15 Jul, 2025

SIR Controversy: विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर मतदाता सूची में संशोधन पर देशभर में सियासत तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे मताधिकार से खिलवाड़ बताया है, जबकि चुनाव आयोग इसे सुधार प्रक्रिया कह रहा है। जानिए पूरा मामला।
आयोग और उसके समर्थन में बीजेपी के लोग यह कहते रहे हैं कि मतदाता का नागरिक होना ज़रूरी है और ये प्रमाणपत्र पुख्ता रूप से नागरिकता साबित नहीं करते। फिर फर्जी आधार कार्ड, मतदाता पहचानपत्र, राशन कार्ड, इनकी सूची से चालीस लाख फर्जी नाम निकाले जाने या कई जिलों में मतदाताओं की तुलना में आधार कार्ड की संख्या ज़्यादा होने जैसी दलीलें दी जाती रही हैं। और बात घूम फिर कर मतदाता बनाम नागरिकता की बहस और बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठ, हिन्दू-मुसलमान और ‘इससे देश को होने वाले ख़तरे’ पर आ गई है।