बीजेपी की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी यानी टीडीपी ने ही विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। इसने कहा है कि एसआईआर का दायरा ही साफ़ क्यों नहीं है और इसको नागरिकता से क्यों जोड़ा जा रहा है। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर यह कहते हुए सवाल खड़े कर दिए हैं कि 'किसी बड़े चुनाव से पहले छह महीने के अंदर तो एसआईआर प्रक्रिया नहीं ही होनी चाहिए'। टीडीपी ने इस मामले में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। तो सवाल है कि कहीं टीडीपी का यह क़दम बीजेपी के लिए गठबंधन में दरार की वजह तो नहीं बनेगा? और क्या अब चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ेगा?