बिहार चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में सुधार या नए नाम जोड़ने की कवायद के नाम पर जो कुछ चल रहा है, वह देश कई राजनीति और सुप्रीम कोर्ट के कार्य-व्यापार के प्रमुख मुद्दों में है। बिहार में तो इससे गहमा गहमी है ही। वहाँ विपक्ष इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है तो सत्ता पक्ष के कई दल भी इन क़दमों का खुला समर्थन नहीं कर रहे हैं। जगह-जगह वोटर फार्म न भरने की मुहिम चल रही है तो कई जगहों से फार्म लेकर आए बूथ लेवल अधिकारी को खदेड़े जाने की ख़बर भी आई है। कई लोग इसे असम जैसी स्थिति की शुरुआत मानते हैं तो कई पश्चिम बंगाल चुनाव का रिहर्सल।
जाति गणना नहीं, वोट की संख्या गिन रही हैं पार्टियाँ?
- विचार
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- 9 Jul, 2025

राजनीतिक दल क्या जाति आधारित गणना के नाम पर सीधे वोटों की गणना और समीकरण पर ध्यान दे रहे हैं? क्या इससे जातीय राजनीति का स्वरूप बदल रहा है या यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति है?
लेकिन सुदूर दक्षिण में भी इसी तरह का एक हंगामा चल रहा है। वहां अनुसूचित जातियों के लोगों की जातिवार जनगणना का काम चल रहा है। वहाँ भी विपक्षी भाजपा हंगामा मचा रही है तो कैबिनेट के दो दलित मंत्री मुनियप्पा और महादेवप्पा मुख्यमंत्री पर दबाव बना रहे हैं और गिनती के तरीक़े पर अपनी आपत्ति जता रहे हैं। आपत्ति का मुद्दा 101 दलित जातियों को अलग-अलग गिनना है जिसे दलित अपने समाज में विभाजन की राजनीति से जोड़ रहे हैं तो सरकार सही संख्या जानकार संसाधनों के उचित बँटवारे का तर्क दे रही है। वहां भी क्यू आर कोड के ज़रिए अप्रकट ढंग से जाति दर्ज कराने का विकल्प भी दिया जा रहा है। पर पर्याप्त चेतन दलित समूहों, खासकर शहरों में रहने वाले, को इस तरह की गिनती पर आपत्ति है।