उप राष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ की विदाई जितनी अचानक और निजी दिखाई देती है वह उतनी लगती नहीं। जी हां, यह बीमारी और निजी कारण से हुआ इस्तीफा नहीं लगता, यह दबाव में लिया गया इस्तीफा लगता है। और उनके इस बड़े पद से हटने की अनुगूँज अभी केंद्र, एनडीए और भाजपा की राजनीति में देर तक सुनाई देगी। तत्काल तो यही दिख रहा है कि बीजेपी की तरफ़ से कुछ नहीं कहा गया, लेकिन विपक्ष उस धनखड़ साहब को अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार के लिए कह रहा है जिनसे उसका रिश्ता छत्तीस का ही रहा है। अब विपक्ष उनकी तारीफ़ के कसीदे भी पढ़ रहा है।
क्या जगदीप धनखड़ परेशानी पैदा कर रहे थे?
- विचार
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- 23 Jul, 2025

जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद सवाल उठ रहे हैं- क्या वे सरकार या सत्तारूढ़ दल के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे थे? जानिए क्या वजहें रहीं।
सत्ता पक्ष का हाल तो यह है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले तो उप राष्ट्रपति, जो राज्यसभा का सभापति भी होते हैं, के मुंह पर उनके लिए अपमानजनक टिप्पणी करते रहे और शाम को हुई सर्वदलीय बैठक में निजी काम के बहाने आए भी नहीं। और आज सरकार तथा बीजेपी जिस तरह चल रही है उसमें नड्डा जी भले ही कामचलाऊ अध्यक्ष हैं लेकिन वे पर्याप्त ताकतवर हैं क्योंकि असली सत्ता वालों का विश्वास उनको हासिल है। यह अलग बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अभी भी मुगालता है कि असली सत्ता उसके हाथ में है और नड्डा ने अगर लोकसभा चुनाव के समय उसका अपमान किया था तो वह उनकी विदाई करा देगा।