राहुल गांधी के आलोचक ऐसा कोई मौक़ा नहीं छोड़ते जिससे कांग्रेस के इस आक्रामक नेता को विवादों के घेरे में लाया जा सके!
बहुत सारे लोगों ने तब राय ज़ाहिर की थी कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के 'अपराध' में वकील प्रशांत भूषण को बजाय एक रुपया जुर्माना भरने के तीन महीने का कारावास स्वीकार करना चाहिए था।
बिहार के साथ-साथ लोग अब यह भी जानना चाहते हैं कि मध्य प्रदेश की 28 सीटों के लिए तीन नवम्बर को पड़े मतों के क्या नतीजे निकलने वाले हैं?
नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ इस समय एक ज़बरदस्त माहौल है। नीतीश को देश में ग़ैर-कांग्रेसी और ग़ैर-भाजपाई विपक्ष के किसी संभावित गठबंधन के लिहाज़ से क्या कमज़ोर होते देखना ठीक होगा?
फ़र्ज़ी तरीक़े से अपने चैनल के लिए टीआरपी बटोरने के आरोपों से घिरे अर्णब गोस्वामी की अगुआई वाले रिपब्लिक टीवी ने मुंबई पुलिस के जवानों में ‘विद्रोह’ की स्थिति बनने की ख़बर चलाई थी। ऐसे में क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
विवाद का मुद्दा बनाए गए वीडियो विज्ञापन में एक ऐसी गर्भवती हिंदू महिला की ‘गोद भराई’ की रस्म के अत्यंत ही भावपूर्ण दृश्य हैं, जिसका विवाह एक मुसलिम परिवार में हुआ है।
टीवी चैनलों ने विज्ञापनों के ज़रिए धन कमाने के उद्देश्य से ही अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए उस बड़े फ़र्जीवाड़े को अंजाम दिया होगा जिसका कि हाल ही में मुंबई पुलिस ने भांडाफोड़ किया है? यह केवल चैनलों द्वारा अपनी टीआरपी बढ़ाने तक सीमित नहीं है।
लोक नायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की पुण्यतिथि के तीन दिन बाद यानी ग्यारह अक्टूबर को उनकी जयंती है। सोचा जा सकता है कि वे आज अगर हमारे बीच होते तो क्या कर रहे होते!
हाथरस ज़िले के एक गाँव में एक दलित युवती के साथ हुए नृशंस अत्याचार और उसके कारण हुई मौत से सरकार डर गई है। वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
लता मंगेशकर का जन्मदिन 28 सितंबर को था। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग लता मंगेशकर को किस रूप में देखते हैं, वह उनसे अपनी मुलाक़ात के अनुभव बता रहे हैं।
हमें संभल पाने का मौक़ा भी क्यों नहीं मिल रहा है? एक शोक से उबरते हैं कि दूसरा दस्तक देने लगता है! हो सकता है कि हम जो अभी क़ायम हैं, हमारे बारे में भी कल ऐसा ही हो।
राज्यसभा उप सभापति हरिवंश कृषि विधेयकों पर फँसी समूची मोदी सरकार का संकटमोचक बने। जानिए, पारदर्शी समाजवादी पत्रकार से सांसद और फिर उप सभापति बनने तक का कैसा रहा उनका सफर।
संविधान निर्माता सात दशक पहले के काल में वर्तमान परिदृश्य की कल्पना नहीं कर पाए होंगे वरना वे कुछ तो लिखकर अवश्य जाते।
देश का पूरा ध्यान एक अभूतपूर्व संकट से सफलतापूर्वक भटका दिया गया है। मीडिया को आम आदमी के मुद्दे पर बात करनी चाहिए लेकिन यह उसके एजेंडे से पूरी तरह ग़ायब है।
बहस का विषय इस समय यह है कि प्रशांत भूषण अगर अपने आपको वास्तव में निर्दोष मानते हैं तो उन्हें बजाय एक रुपये का जुर्माना भरने के क्या तीन महीने का कारावास नहीं स्वीकार कर लेना चाहिए था?
बीजेपी की गंगा में एक तरफ़ तो कांग्रेसी विचारधारा की नहरों का पानी मिल रहा है और दूसरी तरफ़ मंत्रालयों का काम काज नेताओं की जगह सेवानिवृत नौकरशाहों के हवाले हो रहा है।
विकास दुबे तो एक ऐसा बड़ा अपराधी था जिसे अपने अपराधों के लिए संवैधानिक न्याय प्रक्रिया के तहत मौत जैसी सजा मिलनी ही चाहिए थी। पर सवाल यह है कि पिछले तीन दशकों के बाद भी क्या पुलिस व्यवस्था में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उनके जन्म दिवस पर शुभकामना का संदेश नहीं भेजा।
ट्रम्प तो किसी की सलाह की परवाह नहीं करते पर हमारे प्रधानमंत्री को तो कोई बताता ही होगा कि उनके कट्टर समर्थकों के अलावा भी देश में जो जनता है वह उनकी छवि को लेकर इस समय क्या सोच रही है!
प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना के तहत नवंबर तक ग़रीबों को मुफ़्त में जो अनाज दिया जाएगा, क्या उसकी ज़रूरत सिर्फ़ 80 करोड़ लोगों को ही है?
इंदिरा गाँधी आपातकाल क्यों लेकर आई थीं? क्या वह एक क्रूर तानाशाह थीं? आपातकाल तानाशाही हुकूमत की शुरुआत थी तो उसकी समाप्ति क्या थी?
अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने की कोशिशों की आलोचना करने पर अमोल पालेकर को रोका गया था। आपातकाल की शुरुआत ऐसे ही होती है। उसे रोकने के लिए बोलते रहना ज़रूरी है।
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि चीन को सबक़ कैसे सिखाया जा सकता है।
कई और अहम मसलों की तरह भारत-चीन सीमा विवाद के मामले में भी सरकार द्वारा लोगों को कोई जानकारी नहीं दी गई।
अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक की गोरे पुलिसकर्मी के घुटने के नीचे हुई मौत से भारत देश के एक सौ तीस करोड़ नागरिकों को ज़्यादा सरोकार नहीं है।
क्या भारत में ऐसा सम्भव है या कभी हो सकेगा कि राष्ट्रपति भवन या प्रधानमंत्री आवास के आसपास या कहीं दूर से भी गुजरने वाली सड़क को करोड़ों प्रवासी मज़दूरों के जीवन के नाम पर कर दिया जाए?