सहज जिज्ञासा है कि लोग पूछ रहे हैं- ‘अब क्या करना चाहिए?’ एक विशाल देश और उसके एक-दूसरे से लगातार अलग किए जा रहे नागरिक जिस मुक़ाम पर आज खड़े हैं, वे जानना चाह रहे हैं कि उन्हें अब किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए?