दुनिया के देशों में नागरिक अपने राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और अन्य नायकों को विभिन्न रूपों में देखकर कैसी प्रतिक्रियाएँ अंदर से महसूस करते हैं, उसका कोई प्रामाणिक सर्वेक्षण और विश्लेषण प्रकट होना अभी बाक़ी है। नागरिक इस बारे में या तो सोच ही नहीं पाते या फिर व्यक्त किए जाने के सम्भावित ख़तरों से ख़ौफ़ खाते हैं। इतना तो तय है कि उनके दिलों में अपने नायकों की एक विशेष छवि लगातार स्थापित होती जाती है।
अपनी ही स्थापित छवि को खंडित करते नज़र आ रहे पीएम मोदी!
- विचार
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- 8 Jul, 2020

महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, जॉन एफ़ कैनेडी, नेलसन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग आदि कई उदाहरण हैं। ये लोग केवल अपनी जनता की ओर ही आँखें भरकर देखते रहे; उसकी उपस्थिति मात्र से ही अभिभूत और अनुप्राणित होते रहे। इन लोगों का इतिहास गढ़ने का काम जनता करती रही। चले जाने के लम्बे अरसे के बाद भी ये नायक करोड़ों लोगों के दिलों में जो जगह बनाए हुए हैं, उसके लिए उन्होंने कभी उस तरह के कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रयास नहीं किए होंगे जैसे कि इस समय किए जा रहे हैं।
अपवादों को छोड़ दें तो वर्तमान में अधिकांश नायक अपने आंतरिक व्यक्तित्व से ज़्यादा जनता के बीच बाह्य छवि को लेकर ही परेशान रहते हैं। वे अपनी भीतरी कमज़ोरियों को ऊपरी आवरण या स्वआरोपित आत्मविश्वास से ढकने की कोशिशों में ही पूरे समय लगे रहते हैं। वे उसी छवि के फिर बंदी भी हो जाते हैं। राजनेताओं के अलावा सेना के सेवानिवृत बड़े अफ़सर भी उदाहरण के तौर पर इस मामले में गिनाए जा सकते हैं।