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ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग' का वैज्ञानिक सर्वे हो: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को निचली अदालत के एक आदेश को रद्द कर दिया और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग सहित एक 'वैज्ञानिक सर्वेक्षण' का आदेश दिया। पिछले साल भी एक वीडियो सर्वेक्षण हुआ था। एक स्थानीय अदालत द्वारा नियुक्त आयोग ने पिछले साल 16 मई को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद का कोर्ट-निर्देशित वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण किया था।

पिछले साल के सर्वेक्षण की कार्यवाही के दौरान, हिंदू पक्ष द्वारा 'शिवलिंग' होने का दावा किया गया था, जबकि उस ढांचे को मुस्लिम पक्ष द्वारा 'फव्वारा' बताया गया था।

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ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सबसे पहले वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर की गई थी और इस पर ही सर्वे का फैसला आया था। याचिका में कहा गया था कि हिंदुओं को श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की इजाजत दी जाए। याचिका में कहा गया था कि मसजिद की पश्चिमी दीवार पर श्रृंगार गौरी की छवि है। 

याचिका में यह भी मांग की गई थी कि मस्जिद के प्रबंधकों को पूजा, दर्शन, आरती करने में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका जाए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि 1991 तक यहां पर नियमित रूप से पूजा होती थी। लेकिन अब यहां साल में एक बार नवरात्रि के दिन ही पूजा का कार्यक्रम होता है। 

पिछले साल नवंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपनी याचिका में हिंदू याचिकाकर्ताओं - लक्ष्मी देवी और तीन अन्य - ने वाराणसी के जिला न्यायाधीश के 14 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। उसमें शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
इसी बात का इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज़िक्र किया है और उन्होंने पिछले साल 16 मई को खोजे गए शिवलिंग के नीचे निर्माण की प्रकृति का पता लगाने के लिए उपयुक्त सर्वेक्षण करने या जाँच करने की प्रार्थना की थी।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार याचिका में आगे प्रार्थना की गई थी कि 'कार्बन डेटिंग या शिवलिंग की आयु, प्रकृति और अन्य घटकों का निर्धारण करने के लिए वैज्ञानिक जांच की जाए'।

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शुक्रवार शाम द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने तथाकथित मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच के लिए हमारी प्रार्थना पर सहमति व्यक्त की है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह एक फव्वारा है। हम कहते हैं कि यह एक शिवलिंग है। अदालत ने आदेश दिया है कि शिवलिंग को बिना किसी नुकसान के शिवलिंग का विश्लेषण और अध्ययन किया जाए।'
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जैन ने कहा कि अदालत ने 14 अक्टूबर, 2022 को जिला न्यायाधीश, वाराणसी द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया है। जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कार्बन डेटिंग विश्लेषण और शिवलिंग के अन्य वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हमारी प्रार्थना को खारिज कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फरमान अहमद नकवी ने कहा कि मस्जिद कमेटी और अन्य लोगों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस निर्णय पर पहुंचा जाएगा कि उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए या नहीं। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही इस पर फैसला करेंगे।

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क़मर वहीद नक़वी
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