बाबरी विध्वंस मामले में सभी अभियुक्तों के बरी होने के अदालत के फ़ैसले पर मुसलिम धर्मगुरुओं ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। बाबरी मसजिद एक्शन कमेटी ने फ़ैसले को उच्च न्यायलय में चुनौती देने का एलान किया है।
बाबरी विध्वंस मामले में सभी अभियुक्तों के बरी होने के अदालत के फ़ैसले पर मुसलिम धर्मगुरुओं ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। बाबरी मसजिद एक्शन कमेटी ने फ़ैसले को उच्च न्यायलय में चुनौती देने का एलान किया है। हालांकि अयोध्या राम मंदिर मामले में याचिकाकर्त्ता इकबाल अंसारी ने फ़ैसले का स्वागत किया है।
बाबरी मामले में वकील रहे ज़फरयाब जिलानी ने फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है तो शिया मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा है कि जब सभी अभियुक्त बरी हो गए हैं तो बताया जाए कि मसजिद किसने गिरायी। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा कि फ़ैसले का स्वागत ज़रूर है, पर इससे खुशी तो नहीं ही है। उधर अयोध्या में ज्यादातर उलेमाओं ने कहा कि इसी तरह के फ़ैसले की संभावना थी।
'फ़ैसले का स्वागत'
उन्होंने कहा कि 'पहले भी हम कोर्ट का सम्मान करते थे, आज भी कर रहे हैं। हम हिंदू- मुसलमान का विवाद नहीं चाहते। इक़बाल का कहना है कि 'मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद ही विवाद समाप्त हो चुका था और अब ध्वंस मामले के निपटने में एक साल लगा।' उन्होंने कहा कि 'अभियुक्तों में जो लोग जिंदा हैं, वे बुजुर्ग है, बहुत से लोग नही हैं। कम से कम लोगों को राहत तो मिली।'
खालिद रशीद : खुशी नहीं
उच्च न्यायालय में अपील
कल्बे जव्वाद : मसजिद गिरी कैसे?
उन्होनें कहा कि मसजिद गिराने का सारा खेल पुलिस के सामने हुआ, फिर पुलिस ने उन मुज़रिमों के ख़िलाफ़ अपनी रिपोर्ट सही तरीके से क्यों नही पेश की? इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका की भी जाँच होनी चाहिए।
इसके साथ ही अहम सवाल है कि उस वक़्त की सरकार ने मसजिद गिरानों वाले के ख़िलाफ़ क्यों नहीं पुख़्ता सुबूत अदालत के सामने रखे। मौलाना जव्वाद ने कहा कि अब जबकि बाबारी ध्वंस मामले में सारे अभियुक्त बरी किए जा चुके हैं, हमें यह तो बताएं कि मसजिद गिरायी किसने? या फिर किसी ने उसे गिराया ही नही था?