loader
वापस लोगों पर यूँ की गई केमिकल की बौछार।फ़ोटो साभार: ट्विटर/वीडियो ग्रैब

पलायन: शर्मनाक! यूपी पहुँचे मज़दूरों के साथ क्रूरता, केमिकल की बौछार

कोरोना फैलने से रोकने का यह कौन-सा तरीक़ा है कि महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सभी को केमिकल से नहला दिया जाए! क्या मानवता को यह शर्मासार करने वाली तसवीर नहीं है कि शहरों से पलायन कर आने वाले लोगों को सड़क पर बिठा दें और फिर आँखें बंद करने को कहकर केमिकल की तेज़ बौछार मारी जाए! क्या आपने इससे पहले कहीं ऐसी तसवीर, वीडियो या ख़बर देखी है कि लोगों को केमिकल से नहलाया गया हो? चीन, इटली, अमेरिका किसी भी देश में? क्या अपने ही देश में जो विदेश से लाए गए उन पर केमिकल से ऐसा छिड़काव किया गया? नहीं न। तो फिर यह सब उत्तर प्रदेश के मेरठ में क्यों हुआ? क्या सिर्फ़ इसलिए कि वे मज़दूर थे?

दरअसल, शहरों से पलायन कर उत्तर प्रदेश के बरेली में जैसे-तैसे पहुँचे मज़दूरों पर अधिकारियों ने केमिकल की बौछार की है। इसकी तसवीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले गए हैं। इसमें दिख रहा है कि सुरक्षा वाली ड्रेस पहने कर्मी पाइल से लोगों पर बौछारें कर रहे हैं। वीडियो में कई पुलिसकर्मी भी बगल में खड़े देखे जा सकते हैं। वीडियो में एक व्यक्ति को यह कहते सुना जा सकता है कि- 'अपनी आँखें बंद कर लो, बच्चों की आँखें बंद कर लो'। क्योंकि यह केमिकल है तो लोगों के लिए नुक़सानदेह तो होगा ही। आँखों में जलन होगी ही। यह कैसी अमानवीयता है?

यह सब इस नाम पर किया गया है कि उनसे वायरस को ख़त्म किया जाए। ऐसे में सवाल है कि क्या ऐसे वायरस ख़त्म होता है? यदि इन केमिकल के नहलाने से यह ख़त्म होता है तो फिर पूरी दुनिया में लोगों को केमिकल से नलहा क्यों नहीं दिया जाता? 

दरअसल, डिसइन्फ़ेक्ट यानी वायरस को ख़त्म करने का ऐसा तरीक़ा वाहनों, सड़कों या निर्जीव चीजों पर इस्तेमाल किया जाता है जहाँ इस वायरस के किसी व्यक्ति में फैलने की संभावना हो। यदि किसी व्यक्ति में वायरस लग गया हो तो ऐसे केमिकल का कोई मतलब ही नहीं है।

इसी कारण इसे अमानवीय व्यवहार कहा गया और बेहद ही शर्मनाक घटना बताया गया। जब चौतरफ़ा उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की आलोचना होने लगी तो इस पर अधिकारियों की सफ़ाई आई। 'एनडीटीवी' के अनुसार एक अधिकारी ने कहा, 'बाहर से आए लोगों पर क्लोरिन और पानी का छिड़काव किया गया है... किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया। हमने उन्हें अपनी आँखें बंद करने के लिए कहा था।' उन्होंने दावा किया कि उन लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया है।

ताज़ा ख़बरें

हालाँकि इस सबके बीच बरेली के ज़िला मजिस्ट्रेट ने ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'इस वीडियो की पड़ताल की गई, प्रभावित लोगों का सीएमओ के निर्देशन में उपचार किया जा रहा है। बरेली नगर निगम एवं फ़ायर ब्रिगेड की टीम को बसों को सैनेटाइज़ करने के निर्देश थे, पर अति सक्रियता के चलते उन्होंने ऐसा कर दिया। सम्बंधित के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।'

बरेली के चीफ़ फ़ायर ऑफ़िसर चंद्र मोहन शर्मा ने भी पत्रकारों से कहा कि यह छिड़काव मनुष्यों के लिए नहीं था। उन्होंने कहा, 'डिसइन्फ़ेक्ट्स में केमिकल है और इसे मनुष्यों पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसे आँखों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।' उन्होंने कहा कि वीडियो की जाँच की जा रही है। 

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें

इधर इस घटना पर विपक्षी दलों ने ज़िला प्रशासन पर हमला किया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी ने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करती हूँ कि ऐसे अमानवीय कार्य नहीं किए जाएँ। उन्होंने कहा कि ये मज़दूर पहले ही काफ़ी भुगत चुके हैं और इससे उनकी सुरक्षा नहीं होगी। 

बीएसपी नेता मायावती ने भी इस घटना को बेहद अमानवीय, क्रूर और अन्यायपूर्ण क़रार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत ही इस पर ध्यान देना चाहिए। 

बता दें कि लॉकडाउन के बाद पिछले 4-5 दिनों से जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हज़ारों ग़रीब और मज़दूर दिल्ली-एनसीआर सहित के बड़े-बड़े शहरों को छोड़ रहे हैं। ऐसी ही भयावह तसवीर दिल्ली के आनंद विहार में दिखी थी जब उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि उसने 1000 बसों का इंतज़ाम किया है। हालाँकि इससे पहले भी ऐसी ही तसवीरें आती रही हैं जिसमें पैदल ही लोग अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे हैं चाहे कोई वाहन मिले या न मिले। काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है और हज़ार-हज़ार किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए ऐसे लोग जोखिम उठा रहे हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें