चिट्ठी में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि कार्यकारी, मजिस्ट्रेट और पुलिस समेत प्रशासन की सारी शाखाएं ध्वस्त हो गई हैं। हमें आशंका है कि यदि इसे नहीं रोका गया तो संस्थाओं को जो नुक़सान होगा उससे लोकतंत्र ध्वस्त हो जाएगा और सड़-गल जाएगा।
सिद्दिक़ कप्पन, जेल में बंद मलयाली पत्रकार