उत्तराखंड क्रिकेट में वसीम जाफर को लेकर जो सांप्रदायिकता का विवाद खड़ा हुआ था वह अब एकाएक ख़त्म हो गया लगता है। और यह हुआ राज्य के क्रिकेट संघ के उन अधिकारियों के बयान से जिनके कथित बयान से यह विवाद खड़ा हुआ था। यानी साफ़ शब्दों में कहें तो उत्तराखंड क्रिकेट का सांप्रदायिकरण हुआ ही नहीं। अब कोई यह आरोप लगाता नहीं दिख रहा है कि वसीम जाफर ने वैसा कुछ किया। सांप्रदायिकरण करने और मुसलिम खिलाड़ियों से पक्षपात करने के आरोप की तो बात ही दूर है। अधिकारी अब उनकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ते दिख रहे हैं। फिर यह मामला उठा कहाँ से और किसने उठाया? इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जान लें कि विवाद क्या खड़ा हुआ था।