'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' सिनेमाघरों तक कैसे पहुंची?
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- 2 Sep, 2024
'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' संवेदनाओं पर हमला है। इसके 135 मिनट को झेलना मुश्किल है। अपने एजेंडा और उसके घटिया प्रदर्शन के कारण इसे झेलना भारी है। इसका राजनीतिक संदेश स्पष्ट है। आश्चर्य होता है कि यह सिनेमाघरों तक कैसे पहुंची? यह समय और धन की बर्बादी है। पूरी तरह 'अझेलनीय' फिल्म ! डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी की समीक्षा