चीन ने एक बार फिर दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर आपत्ति जताई है और भारत को तिब्बत मामलों से दूर रहने की चेतावनी दी है। लेकिन भारत ने साफ़ कहा – अगला दलाई लामा तय करने का अधिकार तिब्बती लोगों का है, न कि किसी बाहरी ताकत का। इस बयान से चीन तिलमिला गया है। क्या यह भारत की साहसिक कूटनीति है या एक जोखिम भरा कदम?