देश में भीड़तंत्र की बढ़त लगातार जारी है और बीच बीच में वह निर्दोष नागरिकों की बलि लेता चल रहा है। आबादी के समुदाय के आधार पर विभाजित कर दिये जाने के कारण लोग अपने अपने फिरके के मामले में ही नरम या गरम पड़ते हैं। पालघर की घटना की समाज विज्ञान के आधार पर मीमांसा कर रहे हैं शीतल पी सिंह।