18 की उम्र में ही कोई बात है। यह कोई भय नहीं जानती, कोई बाधा नहीं, उसके अग्निमय नेत्रों में तूफ़ान उठते हैं, वह मृत्यु को नहीं जानती। बांग्ला कवि सुकांत भट्टाचार्य की कविता की याद आई जब खबर मिली,टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के 10 विद्यार्थियों को हिरासत में ले लिया है और उन पर मुक़दमा दायर किया है। उनका जुर्म यह है कि जी एन साईंबाबा को याद करने के लिए वे परिसर में इकट्ठा हुए थे। वे साईंबाबा के पोस्टर लिए हुए थे और उन्होंने कुछ मोमबत्तियाँ जलाईं। पुलिस के मुताबिक़ यह ग़ैरक़ानूनी जमावड़ा था।संस्थान के प्रशासन का कहना है कि उससे अनुमति नहीं ली गई थी। इन विद्यार्थियों पर राष्ट्र के विरुद्ध दुर्भावना पैदा करने और विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने का आरोप है।
भारत में शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राएं क्या सचमुच आज़ाद हैं
- वक़्त-बेवक़्त
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- 20 Oct, 2025
क्या भारत में छात्रों को सोचने, बोलने, समझने या कुछ करने की आज़ादी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिवंगत प्रोफेसर जीएन साईबाबा की बरसी पर कुछ छात्र TISS में जमा हुए तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। जेएनयू को देखिए। स्तंभकार अपूर्वानंद की टिप्पणीः

दिवंगत प्रोफेसर जीएन साईबाबा