अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार देर रात उस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर दिए जिसमें 70 से अधिक देशों और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ पर नए टैरिफ़ लागू करने की घोषणा की गई। यह नया टैरिफ़ शेड्यूल 7 अगस्त से प्रभावी होगा। 1 अगस्त की समय सीमा से पहले टैरिफ़ की पूरी सूची जारी की गई है। और इसमें उन देशों पर 10% का बेसिक टैरिफ़ शामिल है जो इस सूची में शामिल नहीं हैं। ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ़ की घोषणा की है। यह कदम वैश्विक व्यापार में एक बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है, जिसका असर भारत सहित कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में अपनी 'लिबरेशन डे' टैरिफ़ नीति की घोषणा की थी। इसमें उन्होंने वैश्विक व्यापार असंतुलन को ठीक करने और अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लगभग 90 देशों पर टैरिफ़ लगाने की बात कही थी। अप्रैल में ट्रंप ने सभी देशों पर 10% का बेसिक टैरिफ़ और कुछ देशों पर 50% तक के टैरिफ की घोषणा की थी, लेकिन वैश्विक बाजारों में हलचल और स्टॉक मार्केट में गिरावट के बाद इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। इस स्थगन की समय सीमा 1 अगस्त को समाप्त होने वाली थी और ट्रंप ने इसे और बढ़ाने से इनकार कर दिया। 
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अमेरिकी राष्ट्रपति ने गुरुवार को एक नया कार्यकारी आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि अमेरिका का व्यापार घाटा राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए एक असामान्य और असाधारण ख़तरा है। इस आदेश में टैरिफ़ की नई दरें 7 अगस्त से लागू करने का निर्णय लिया गया, ताकि दरों को सामंजस्य बनाया जा सके।

भारत पर रूसी तेल खरीद के लिए पेनाल्टी भी

भारत के लिए ट्रंप ने 25% टैरिफ़ की घोषणा की है और इसके साथ ही रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदने के लिए अतिरिक्त पेनाल्टी की चेतावनी दी है। यह भारत के लिए काफ़ी अहम है, क्योंकि भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा समुद्री खरीदार है जो उसकी कुल तेल सप्लाई का क़रीब 35-40% हिस्सा है। 

प्रमुख देशों पर टैरिफ़ की दरें

नए टैरिफ़ शेड्यूल में विभिन्न देशों के लिए अलग-अलग दरें तय की गई हैं। कहा गया है कि यह व्यापार घाटे और क्षेत्रीय आर्थिक प्रोफाइल के आधार पर तय की गई हैं। 
  • भारत: 25%
  • पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, फिलीपींस, थाईलैंड: 19% 
  • बांग्लादेश, श्रीलंका, ताइवान, वियतनाम: 20%
  • ब्रुनेई, कज़ाकिस्तान, मोल्दोवा, ट्यूनीशिया: 25%
  • निकारागुआ: 18%
  • इसराइल, जापान, तुर्की, नाइजीरिया, घाना, और कई अन्य: 15% 
  • कनाडा: 35%
  • सीरिया: 41%
  • लाओस, म्यांमार (बर्मा): 40% 
  • स्विट्ज़रलैंड: 39% 
  • इराक, सर्बिया: 35% 
  • अल्जीरिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, लीबिया, दक्षिण अफ्रीका: 30% 
  • ब्राज़ील, यूनाइटेड किंगडम, फ़ॉकलैंड द्वीप समूह: 10% 
इनके अलावा जिन देशों का इस सूची में ज़िक्र नहीं है, उन पर 10% का बेसिक टैरिफ लागू होगा।
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कुछ देशों के साथ व्यापार समझौते

ट्रंप प्रशासन ने चीन सहित कई देशों के साथ व्यापार समझौते किए हैं, जिसके कारण उनकी टैरिफ़ दरें कम की गई हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम: 10% टैरिफ, जिसमें 100,000 वाहनों की वार्षिक कोटा पर छूट शामिल है।
  • यूरोपीय संघ: 15% टैरिफ, जिसमें ऑटोमोबाइल और कुछ दवाओं पर छूट शामिल है।
  • जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस: हाल के हफ्तों में समझौते की वजह से टैरिफ दरें कम की गई हैं।

टैरिफ़ का वैश्विक प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ़ ने वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर डाला है। जानकारों का कहना है कि ये टैरिफ़ अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकते हैं, क्योंकि आयातक इन अतिरिक्त लागतों को ग्राहकों पर डाल सकते हैं। मिसाल के तौर पर तांबे पर 50% टैरिफ से विनिर्माण और निर्माण उद्योगों में लागत बढ़ सकती है। इसके अलावा, कनाडा, मेक्सिको जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों ने जवाबी टैरिफ की धमकी दी है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

भारत के संदर्भ में 25% टैरिफ और रूसी तेल खरीद पर संभावित पेनाल्टी से ऊर्जा की क़ीमतें और निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा और मशीनरी जैसे भारतीय निर्यात के सामान अमेरिकी बाजार में अधिक महंगे हो सकते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
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ट्रंप की दबाव की रणनीति 

ट्रंप का दावा है कि ये टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण में नयी जान फूंकेंग, व्यापार घाटे को कम करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेंगे। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पैदा की है। अर्थशास्त्री डैनियल ऑल्टमैन ने सीबीएस न्यूज को बताया कि ट्रंप प्रशासन के पास इतने सारे व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने के लिए पर्याप्त वार्ताकार नहीं थे और कई समझौते केवल ढांचागत हैं, जिनमें विस्तृत शर्तें शामिल नहीं हैं।

ट्रंप के नए टैरिफ वैश्विक व्यापार में एक नया अध्याय शुरू करने वाले हैं। भारत सहित कई देशों को अब अपनी व्यापार रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। 7 अगस्त से लागू होने वाले इन टैरिफ का असर न केवल वैश्विक सप्लाई चेन पर पड़ेगा, बल्कि यह उपभोक्ता कीमतों, महंगाई और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। भारत के लिए रूस के साथ ऊर्जा व्यापार और अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।