मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के मुखिया हाफ़िज़ सईद को आतंकवाद के दो मामलों में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के मुखिया हाफ़िज़ सईद को आतंकवाद के दो मामलों में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। इस साल जुलाई में पाकिस्तान की इमरान सरकार ने हाफ़िज़ सईद और कई अन्य आतंकवादी संगठनों के लोगों के
ख़िलाफ़ 23 मुक़दमे दर्ज किए थे।
इनके ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने (टेरर फ़ंडिंग) के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई थी।
उससे पहले फरवरी महीने में पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को भी चलाने वाले हाफ़िज़ सईद और उसके सहयोगियों को आतंकी गतिविधि के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में दोषी ठहराया था और 11 साल की सजा सुनाई थी। हाफ़िज़ सईद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आंतकी घोषित किया जा चुका है और उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का ईनाम है।
2008 में मुंबई में हुए हमले में हाफ़िज सईद वांछित है। इस हमले में 166 भारतीयों की जान गई थी।
2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी हाफ़िज़ के संगठन का नाम आया था। भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने जमात-उद-दावा को प्रतिबंधित कर रखा है।
आतंकवाद का गढ़ है पाक
ख़ुद को अमनपसंद मुल्क़ बताने वाला पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद का गढ़ है। जुलाई, 2019 में वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान ने कहा था कि पाकिस्तान में एक वक़्त में
40 आतंकवादी संगठन चल रहे थे लेकिन पाकिस्तान की पुरानी सरकारों ने अमेरिका से इसे 15 साल तक छुपाए रखा। ख़ान के इस ख़ुलासे के बाद साफ हो गया था कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को अपने देश में पनाह देता रहा है।
इमरान ख़ान ने यह बात कांग्रेस की शीला जैकसन ली की ओर से वाशिंगटन में आयोजित कैपिटल हिल रिसेप्शन को संबोधित करते हुए कही थी। ली भारत और भारतीय अमेरिकियों के कांग्रेश्नल गुट की सदस्य हैं।
आतंकवाद से लड़ने के पाकिस्तान के दावों का सच दो साल पहले तब सामने आया था जब उसके आंतरिक मामलों के मंत्री रहे शहरयार ख़ान आफ़रीदी का हाफ़िज सईद का बचाव करने वाला वीडियो वायरल हुआ था।
वीडियो में शहरयार कुछ लोगों के साथ बैठे हुए दिखे थे। बातचीत के दौरान एक व्यक्ति ने आफ़रीदी को बताया कि हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को हाफ़िज़ सईद की पार्टी मिल्ली मुसलिम लीग (एमएमएल) को राजनीतिक दल के रूप में रजिस्टर करने का निर्देश दिया है लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है कि अमेरिका ने एमएमएल को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।
उसकी बात का जवाब देते हुए आफ़रीदी ने कहा था, 'इंशा अल्लाह, कोई माई का लाल, जब तक हम एसेंबली में हैं और तहरीके इंसाफ़ है, हाफ़िज सईद को तो छोड़ें जो पाकिस्तान का साथ देगा, हम उसका साथ देंगे।' यह वीडियो पाक के वरिष्ठ पत्रकार बिलाल फ़ारूखी ने ट्वीट किया था।
आफ़रीदी ने आगे कहा था, 'मेरी आपसे इल्तिज़ा है कि आप ख़ुद एसेंबली में आकर देखें कि हम हक़ का साथ दे रहे हैं या नहीं।'
पाकिस्तान फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए छटपटा रहा है। इसी के चलते उसे अगस्त में 88 प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके आकाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी पड़ी थी। इमरान ख़ान सरकार ने दाऊद, हाफिज़ सईद, मसूद अज़हर पर कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगाए थे और इनके बैंक खातों और संपत्तियों को सीज करने के आदेश दिए थे।
ब्लैक लिस्ट से बचने का दबाव
एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान को जून, 2018 से ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है और उस पर इसके लिए भारी दबाव है कि वह आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे। एफ़एटीएफ़ कई देशों का संगठन है, जो आतंकवाद को वित्तीय मदद देने और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों पर नज़र रखता है। पाकिस्तान को बेहद ख़राब आर्थिक हालात से निकलने के लिए एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट से बाहर आना ही होगा और इसीलिए आतंकियों के ख़िलाफ़ इस तरह की कार्रवाई को करना उसके लिए ज़रूरी है। क्योंकि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बने रहता है तो उसके लिए इंटरनेशनल मोनेटरी फ़ंड (आईएमएफ़), विश्व बैंक, एडीबी आदि संस्थाओं से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।