इसलामाबाद की लाल मसजिद में जुटे नमाज़ी।
मसजिद से निकलकर ये लोग ऑटो, बसों से होते हुए, मोहल्ले में लोगों से मिलते हुए अपने घरों तक पहुंचेंगे। अगर मसजिद में बैठे लोगों में से एक भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होगा तो वह इस वायरस को कहां से कहां पहुंचा देगा, इसके बारे में सोचकर ही डर लगता है।
दुर्रानी कहते हैं, ‘हम नमाज़ से पहले दिन में पांच बार हाथ और अपना चेहरा धोते हैं लेकिन काफ़िर ऐसा नहीं करते, इसलिए हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। अल्लाह हमारे साथ है।’
रॉयटर्स के मुताबिक़, एक धार्मिक पार्टी के प्रमुख नेता मुफ़्ती कफ़ायतुल्लाह ने पिछले हफ़्ते एक जनाजे के दौरान इकट्ठा हुए लोगों से कहा कि हम अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी मसजिदों को वीरान नहीं होने देंगे।