PoK Gen Z Protest: पीओके में जनरेशन ज़ेड (जेन ज़ी) सड़कों पर उतर पड़ा है। यहां के यूनिवर्सिटी छात्र ई-मार्किंग, फ़ीस वृद्धि और ख़राब प्रशासन के ख़िलाफ़ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को फायरिंग के बाद यह आंदोलन हिंसक हो गया।
पीओके में जेन ज़ी का प्रदर्शन गुरुवार को हिंसक हो गया
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हिंसक अशांति के कुछ हफ्तों बाद, अब विरोध प्रदर्शनों की एक और लहर ने इस क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बार इसकी अगुवाई जेनरेशन Z (Gen Z) कर रही है, जिनमें ज्यादातर छात्र शामिल हैं। यह आंदोलन शिक्षा सुधारों के मुद्दे पर शुरू हुआ। लेकिन अब यह शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया है।
हिंसक हुआ Gen Z का प्रदर्शन
इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ज्यादातर शांतिपूर्ण थे, लेकिन स्थिति तब अराजक हो गई जब कथित तौर पर एक अज्ञात बंदूकधारी ने छात्रों के एक समूह पर गोली चला दी, जिसमें एक छात्र घायल हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मुजफ्फराबाद में एक व्यक्ति को प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करते देखा गया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह घटना पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुई।
यह घटना आंदोलन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई। आक्रोशित छात्रों ने टायर जलाए, आगजनी और तोड़फोड़ की और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगाए। इन प्रदर्शनों में दक्षिण एशियाई देशों नेपाल और बांग्लादेश में हुए Gen Z विरोध आंदोलनों की झलक देखी जा सकती है।
बढ़ी फीस और ई-मार्किंग के खिलाफ आक्रोश
यह विरोध मुजफ्फराबाद के एक प्रमुख विश्वविद्यालय में बढ़ती फीस और बेहतर सुविधाओं की मांग को लेकर शुरू हुआ था। जनवरी 2024 में भी इसी तरह का आंदोलन हुआ था, जब छात्रों ने सेमेस्टर फीस के नाम पर हर 3 या 4 महीने में लाखों रुपये वसूलने का आरोप लगाया था। इस बार इंटरमीडिएट के छात्र भी विरोध में शामिल हो गए हैं। उनकी मुख्य शिकायत नए शैक्षणिक वर्ष में मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तरों पर शुरू की गई नई ई-मार्किंग या डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली को लेकर है।
30 अक्टूबर को इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष की परीक्षाओं के नतीजे छह महीने की देरी से घोषित किए गए, जिसके बाद छात्रों ने असामान्य रूप से कम अंक मिलने की शिकायत की और इसका कारण ई-मार्किंग सिस्टम को बताया। विरोध कर रहे छात्रों ने पुनर्मूल्यांकन शुल्क माफ करने की भी मांग की है, जो प्रति विषय 1,500 रुपये (यानी सात विषयों के लिए ₹10,500) तय किया गया है। विरोध के जोर पकड़ने के बाद, प्रशासन ने तत्काल विश्वविद्यालय में राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। छात्रों की शिकायतों की सूची अब केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि खस्ताहाल बुनियादी ढांचा, खराब स्वास्थ्य सेवा और परिवहन की कमी भी उनकी हताशा को बढ़ा रही है।
जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी का समर्थन
विरोध प्रदर्शनों को प्रभावशाली जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) का समर्थन मिला है, जो अक्टूबर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में सबसे आगे थी। अक्टूबर में हुए प्रदर्शनों में टैक्स राहत, सब्सिडी और विकास परियोजनाओं सहित 30 मांगों को लेकर 12 से अधिक नागरिकों की मौत हो गई थी, जो बाद में सेना की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया था।
क्षेत्रीय आंदोलनों से तुलना
Gen Z के इस प्रदर्शन ने पाकिस्तान के लिए चिंता बढ़ा दी है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब पड़ोसी देश नेपाल में युवा नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद सरकार गिर गई थी, और बांग्लादेश (2024) और श्रीलंका (2022) में भी इसी तरह के जन-आक्रोश ने सत्ता परिवर्तन किया था। इन आंदोलनों में भी शुरुआती विरोध घरेलू मुद्दों से शुरू होकर व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों में बदल गए थे। पीओके में इस समय इंटरनेट बंद है, इसलिए वहां से फोटो और वीडियो मुश्किल से आ रहे हैं।