1947 में कयाम-ए-पाकिस्तान के बाद पड़ोसी मुल्क में पहला वक्त़ ऐसा आया है, जब सियासी रहनुमाओं ने फ़ौज़ को चुनौती दी है। पाकिस्तान की तारीख़ (इतिहास) को देखें तो वहां फ़ौज़ हमेशा से ताक़तवर रही है और कोई भी सियासतदां फ़ौज़ पर हमला नहीं करता। लेकिन यह बीते वक़्त की बात हो चुकी है और मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म रह चुके नवाज़ शरीफ़ इन दिनों लगातार फ़ौज़ को निशाने पर ले रहे हैं।