निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फाँसी की सजा दिए जाने के बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल के फ़ैसले की आलोचना की है। उन्होंने सवाल उठाया है कि हसीना को अपराधी क्यों ठहराया जा रहा है, और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और उनकी 'जिहादी ताक़तें' को समान अपराधों के लिए क्यों नहीं?

अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल यानी आईसीटी के सोमवार के फैसले में हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फाँसी की सजा सुनाई गई, जिसमें पिछले साल छात्र आंदोलन के दौरान कई लोगों की हत्या शामिल है। इस फ़ैसले ने हसीना की सरकार के पतन का मार्ग प्रशस्त किया था।

1994 से भारत में निर्वासन में रह रही तसलीमा नसरीन ने एक्स पर एक पोस्ट में यूनुस की सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा, 'यूनुस और उनकी जिहादी ताक़तें उन कार्यों के लिए हसीना को अन्यायपूर्ण घोषित करते हैं, जो वे खुद करते हैं और उन्हें न्यायपूर्ण बताते हैं। बांग्लादेश में न्याय के नाम पर यह ढोंग कब ख़त्म होगा?'
तसलीमा ने लिखा है, 'जब कोई तोड़फोड़ करता है और वर्तमान सरकार उन्हें गोली मारने का आदेश देती है तो सरकार खुद को अपराधी नहीं कहती। फिर जुलाई में तोड़फोड़ करने वालों पर गोली चलाने का आदेश देने के लिए हसीना को अपराधी क्यों ठहराया जा रहा है?'

कट्टरपंथियों के निशाने पर तसलीमा

तसलीमा नसरीन का यह बयान बांग्लादेश की उथल-पुथल वाली राजनीति में एक नया विवाद पैदा करने वाला है। उनको 1994 में उनके उपन्यास 'लज्जा' के कारण इस्लामी कट्टरपंथियों से मिले मौत के फतवे के बाद बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। यह किताब बांग्लादेश में प्रतिबंधित हो गई, लेकिन अन्य देशों में बेस्टसेलर बनी। भारत में रहते हुए भी वे बांग्लादेशी राजनीति पर टिप्पणी करती रहती हैं।

हाल के महीनों में तसलीमा ने यूनुस की अंतरिम सरकार पर मानवता के ख़िलाफ़ अपराध करने का आरोप लगाया है। उन्होंने 2006 में दिए गए नोबेल शांति पुरस्कार को यूनुस से वापस लेने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की है।

यूनुस को ग्रामीण बैंक के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार सूक्ष्म ऋण और वित्तीय समावेशन के नवीन विचारों के लिए दिया गया था, जिसने आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा दिया।

आईसीटी का फैसला

आईसीटी का यह फ़ैसला बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को बदलने वाला है। हसीना आवामी लीग की प्रमुख हैं। वह अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद भारत के दिल्ली में निर्वासन में हैं। ट्रिब्यूनल ने उन्हें तीन आरोपों में दोषी ठहराया: हिंसा भड़काने, प्रदर्शनकारियों को मारने के आदेश देने और छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान अत्याचारों को रोकने में विफलता। इस आंदोलन ने उनकी 15 वर्ष पुरानी लौह-इच्छाशक्ति वाली सत्ता को उखाड़ फेंका था। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी फाँसी की सजा सुनाई गई, जबकि पूर्व पुलिस महानिदेशक चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामून को पांच वर्ष की कैद की सजा दी गई। अल-मामून सरकारी गवाह बनकर दोष मान चुके थे।

यह फैसला फरवरी 2026 की शुरुआत में होने वाले संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले आया है, जो बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे सकता है। हसीना की आवामी लीग को चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया है, और विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला नई अशांति को जन्म दे सकता है।

हसीना ने फ़ैसले को 'पूर्वग्रही और राजनीतिक रूप से प्रेरित' बताते हुए इसे 'लोकतांत्रिक जनादेश के बिना धांधली वाले ट्रिब्यूनल' का फ़ैसला क़रार दिया। उन्होंने कहा कि यह न्याय का मजाक है। दूसरी ओर, मुख्य सलाहकार यूनुस ने फ़ैसले का स्वागत किया और कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे कितना ही शक्तिशाली हो, क़ानून से ऊपर नहीं है। यूनुस ने 8 अगस्त 2024 को हसीना के भागने के तीन दिन बाद अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व संभाला था।

तसलीमा का लंबा संघर्ष

तसलीमा नसरीन का यह बयान उनकी लंबी लड़ाई का हिस्सा है। 'लज्जा' में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों को उजागर करने के कारण उन्हें इस्लामी कट्टरवादियों का निशाना बनना पड़ा। भारत में शरण मिलने के बाद भी वे बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रहीं। हसीना के शासनकाल में उन्हें कभी-कभी समर्थन मिला, लेकिन यूनुस की सरकार के आने के बाद उनकी आलोचना तेज हो गई। उनका मानना है कि यूनुस की सरकार जिहादी तत्वों से प्रभावित है, जो बांग्लादेश को इस्लामीकरण की ओर धकेल रही है।

कहा जा रहा है कि यह फ़ैसला न केवल हसीना की राजनीतिक विरासत को धूमिल करेगा, बल्कि अंतरिम सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करेगा। चुनावों से पहले यह विवाद और गहरा सकता है, खासकर जब आवामी लीग के समर्थक इसे 'बदले की राजनीति' बता रहे हैं। तसलीमा नसरीन की यह टिप्पणी बांग्लादेश में न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर बहस छेड़ रही है।