डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान और चीन गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। क्या यह भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है?
ट्रंप का दावा- पाकिस्तान और चीन परमाणु परीक्षण कर रहे हैं
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और चीन क्या परमाणु हथियारों का जखीरा जुटाने में लगे हैं? और यदि ऐसा है तो दो मोर्चों पर भारत एक साथ इनसे कैसे निपटेगा? ये सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक चौंकाने वाले खुलासे के बाद खड़े हो रहे हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान गुप्त रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया भी गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं इसलिए अमेरिका भी परमाणु परीक्षण करेगा।
सीबीएस न्यूज के लोकप्रिय कार्यक्रम '60 मिनट्स' में दिए गए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि जहाँ अमेरिका तीन दशकों से ज़्यादा समय से परमाणु परीक्षण नहीं कर रहा है, वहीं पाकिस्तान समेत कई देश वैश्विक जाँच से छुपकर भूमिगत परमाणु परीक्षण जारी रखे हुए हैं। ट्रंप ने कहा, 'हम परीक्षण करेंगे क्योंकि वे परीक्षण कर रहे हैं। और निश्चित रूप से उत्तर कोरिया परीक्षण कर रहा है। पाकिस्तान भी परीक्षण कर रहा है। वे आपको इसके बारे में बताने नहीं जाते। वे भूमिगत परीक्षण करते हैं, जहाँ लोगों को पता ही नहीं चलता कि क्या हो रहा है। आपको बस एक हल्का सा कंपन महसूस होता है।'
ट्रंप की यह टिप्पणी पहली बार है जब किसी मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर पाकिस्तान पर परमाणु परीक्षण जारी रखने का आरोप लगाया है। यह बयान ट्रंप अपने उस आदेश को जायज ठहराने के लिए दिया है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी सेना को 33 साल पुराने प्रतिबंध को तोड़ते हुए परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्देश दिया।
भारत की दो मोर्चों पर चिंता!
भारत के संदर्भ में यह दावा चिंताजनक है, क्योंकि भारत को पाकिस्तान और चीन से दो मोर्चों पर ख़तरा है। यह खासकर इसलिए कि भारत के पाकिस्तान और चीन से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं और संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान और चीन दोनों एक साथ नज़र आते हैं। हाल के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए भारत पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को पूरी सैन्य सहायता मुहैया कराई थी। हालाँकि, कुछ दिनों में ही संघर्षविराम हो गया था और स्थिति ज़्यादा ख़राब नहीं हुई।
ट्रंप ने इंटरव्यू के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए तनाव का भी ज़िक्र किया। उन्होंने दावा किया कि दोनों देश परमाणु युद्ध के कगार पर थे, और उन्होंने व्यापार और टैरिफ के जरिए हस्तक्षेप करके इसे रोका।
ट्रंप ने कहा, 'भारत पाकिस्तान के साथ परमाणु युद्ध करने वाला था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खड़े हो गए... यदि डोनाल्ड ट्रंप हस्तक्षेप न करते तो लाखों लोग मर चुके होते। यह एक खराब युद्ध था। लड़ाकू विमान यहाँ-वहाँ गिर रहे थे। मैंने दोनों को कहा, अगर आप नहीं रुकते तो अमेरिका के साथ कोई व्यापार नहीं कर पाओगे।' यह दावा विवादास्पद है, क्योंकि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान परमाणु युद्ध के कगार पर होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। भारत ने युद्धविराम कराने के ट्रंप के दावों को बार-बार खारिज किया है।
गुप्त परीक्षणों की सच्चाई क्या?
वैश्विक स्तर पर परमाणु परीक्षणों की निगरानी व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि यानी सीटीबीटी के तहत की जाती है, जो भूकंपीय तरंगों के ज़रिए भूमिगत विस्फोटों का पता लगाती है। हालाँकि, ट्रंप का दावा है कि ये परीक्षण इतने गुप्त होते हैं कि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है।
पाकिस्तान के मामले में, ट्रंप का आरोप पहली बार एक मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा सीधा लगाया गया है। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर 1998 के चगाई परीक्षणों के बाद कोई परीक्षण नहीं किया है, लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में उसके परमाणु कार्यक्रम की वृद्धि का ज़िक्र है।
भारत के लिए ख़तरा?
ट्रंप के दावे भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक हैं, क्योंकि भारत 'नो-फर्स्ट-यूज' नीति का पालन करता है और 1998 के पोखरण-द्वितीय परीक्षणों के बाद कोई परीक्षण नहीं किया। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एसआईपीआरआई की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास फिलहाल 180 परमाणु हथियार हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास भी क़रीब 170 परमाणु हथियार हैं, जो 2028 तक 200 तक पहुंच सकते हैं, जिसमें टैक्टिकल न्यूक्स (क्षेत्रीय हथियार) शामिल हैं। चीन का स्टॉकपाइल 600 हथियारों का है, जिसके 2030 तक 1000 तक पहुंचने का अनुमान है। पेंटागन की 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन 2030 तक 1000 से अधिक ऑपरेशनल हथियार तैनात कर सकता है।
ट्रंप के परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने के फ़ैसले और पाक-चीन पर आरोपों ने भारत में 'पोखरण-तीन' की बहस को हवा दे दी है। जानकार कहते हैं कि यदि पड़ोसी गुप्त परीक्षण कर रहे हैं तो भारत को अपनी क्षमताओं को परखना चाहिए। हालांकि, भारत ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, लेकिन परीक्षण अमेरिका के साथ 2005 के न्यूक्लियर डील को प्रभावित कर सकता है, जो कम-समृद्ध यूरेनियम की आपूर्ति पर निर्भर करता है।
दक्षिण एशिया में परमाणु की दौड़?
ट्रंप का बयान दक्षिण एशिया में परमाणु दौड़ को तेज कर सकता है। एसआईपीआरआई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कैनिस्टराइज्ड मिसाइलें कई हथियार ले जा सकती हैं। पाकिस्तान ने अब्दाली और शाहीन-तीन जैसी मिसाइलों का परीक्षण किया है, जबकि चीन एफओबीएस जैसी तकनीकों से आगे बढ़ रहा है।
क्या ट्रंप के दावे सच्चाई पर आधारित हैं या राजनीतिक बयानबाजी? यह वैज्ञानिक समुदाय में बहस छिड़ गई है। भारत के लिए यह एक सचेत होने का संकेत है। दक्षिण एशिया की शांति अब और नाजुक लग रही है।