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अमेरिका में कोरोना का कहर, राष्ट्रीय इमर्जेंसी, ट्रंप भी हो सकते हैं प्रभावित

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कोरोना से एहतियात बरतने के लिए पूरे देश में आपातकाल लगा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना की रोकथाम और दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 50 अरब डॉलर के अनुदान का एलान भी कर दिया है। दिलचस्प यह है कि उन्होंने कोरोना संक्रमण की बात करते हुए आशंका जताई कि वे स्वयं इससे प्रभावित हो सकते हैं। 
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उन्होंने  राजधानी वॉशिंगटन के रोज़ गार्डन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशासन के मंसूबों का एलान करते हुए कहा कि अमेरिकियों को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी और ज़्यादा सतर्क रहना होगा।

क्या है मामला?

नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप की कोशिश यह साबित करने की है कि वह इस मुद्दे पर बेहद गंभीर हैं और अमेरिकियों के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं।
ट्रंप की घोषणा अहम इसलिए भी है कि अमेरिका में करोड़ों लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है और वे ख़तरनाक स्थिति में फंस सकते हैं। ट्रंप शायद इस स्थिति से बचने के लिए 50 अरब डॉलर खर्च करने को तैयार हैं।

ट्रंप ने की थी लापरवाही?

दूसरी बात यह है कि कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने यह साबित करने की कोशिश की थी कि कोरोना से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने इसे साबित करने के लिए वहाँ मौजूद दसियों लोगों से हाथ मिलाया था। 

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने लोगों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा था कि यह जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा। 

राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया था, 'पिछले साल सामान्य फ्लू की वजह से 37, 000 अमरीकी नागरिकों की मौत हुई थी। औसतन प्रतिवर्ष 27 से 70 हज़ार लोगों की मौत इस वजह से होती है. बंद करने की कोई बात नहीं है. ज़िंदगी और अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती रहती है।'

उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोसोनेरो का स्वागत किया था, जिनके बारे में बाद में कहा गया कि वह संक्रमित थे। इस पर ट्रंप की आलोचना हुई थी। समझा जाता है कि इससे बचने के लिए ही ट्रंप ने यह एलान किया है। 
जिस समय ट्रंप ने यह एलान किया, अमेरिका में 1,678 लोगों के संक्रमति होने की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही 41 लोगों की मौत होने की भी पुष्टि हो गई है।

यूरोप पर रोक

इमर्जेंसी की घोषणा के दो दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने विदेशियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। उन्होंने यूरोप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका ने पूरे यूरोप महादेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। यानी यूरोप के 44 देशों में से किसी देश का कोई नागरिक अमेरिका नहीं जा सकता। 

जाँच उपकरण

यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा कंपनी रोश के जाँच उपकरण का अनुमोदन किया। इस उपकरण के ज़रिए सिर्फ 24 घंटे के अंदर संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इसी तरह थर्मोफिशर और बेक्टन डिकिन्सन के उपकरणों की भी बात कही गई है।  
दूसरी ओर अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्यूशिन और हाउस ऑफ़ रीप्रेज़ेन्टेटिव्स में विपक्ष की नेता नैन्सी पलोसी के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है कि कोरोना प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए पैकेज में क्या होना चाहिए।
विपक्ष डेमोक्रेट्स चाहता है कि बेरोज़गारी दूर करने के उपाय और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े उद्योग के लिए विशेष व्यवस्था की जाए। 
बता दें, ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 114 देशों में अब तक 1,18,000 मामले सामने आए हैं। किसी एक रोग से इतने देश अब तक प्रभावित नहीं हुए थे। 
कोरोना संक्रमण से जो वातावरण बन गया है, वैसा पूरी दुनिया में पहले कभी नहीं देखा गया था। इसकी वजह यह है कि एक साथ इतने सारे देशों में किसी रोग का संक्रमण नहीं फैला था। इसके पहले सार्स, मर्स, एचवनएनवन, मैड काऊ डिजीज़, एनफ्लूएन्ज़ा जैसे रोग फैले हैं। पर उनका प्रभाव क्षेत्र सीमित था। ये रोग एक साथ 100 देशों में नहीं फैले थे। कोरोना के आतंक की यही असली वजह है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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