ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर 245% तक का नया भारी टैरिफ़ लगाने की घोषणा की है। इसने अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव को और गहरा कर दिया है। व्हाइट हाउस द्वारा मंगलवार देर रात जारी एक फ़ैक्ट शीट के अनुसार, यह क़दम बीजिंग के हालिया निर्यात पर प्रतिबंधों और रेसिप्रोकल टैरिफ़ को लेकर उठाया गया है।

व्हाइट हाउस ने बयान में कहा, 'चीन के जवाबी क़दमों के परिणामस्वरूप अब उसे अमेरिका में आयात पर 245% तक टैरिफ़ का सामना करना पड़ेगा।' इस क़दम को ट्रंप की 'अमेरिका फ़र्स्ट ट्रेड पॉलिसी' का हिस्सा बताया गया है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा और सप्लाई चेन को सुरक्षित करना है।

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व्हाइट हाउस के उस बयान के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में जिसमें दावा किया गया था कि चीन को अब उसके जवाबी क़दमों के परिणामस्वरूप अमेरिका में आयात पर 245 प्रतिशत तक टैरिफ़ का सामना करना पड़ेगा, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बुधवार को कहा कि 'विशिष्ट कर दर के आंकड़ों के लिए आप अमेरिकी पक्ष से पूछ सकते हैं। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने ही यह रिपोर्ट दी है।

रिपोर्ट के अनुसार लिन ने बुधवार की प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि चीन ने टैरिफ़ मुद्दे पर अपनी गंभीर स्थिति को बार-बार साफ़ किया है। उन्होंने कहा, 'टैरिफ युद्ध की शुरुआत अमेरिका ने की थी। चीन ने अपने वैध अधिकारों, हितों तथा अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की रक्षा के लिए ज़रूरी जवाबी उपाय किए हैं, जो पूरी तरह से उचित और क़ानूनी हैं। टैरिफ़ और व्यापार युद्धों का कोई विजेता नहीं होता। चीन इन युद्धों को लड़ना नहीं चाहता, लेकिन इनसे डरता भी नहीं है।'

बहरहाल, ट्रंप प्रशासन ने चीन पर गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी जैसे महत्वपूर्ण उच्च-तकनीकी सामग्रियों के निर्यात को जानबूझकर प्रतिबंधित करने का आरोप लगाया है। ये चीजें सैन्य, एयरोस्पेस, और सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए ज़रूरी हैं। हाल ही में चीन ने छह भारी दुर्लभ अर्थ मेटल्स और दुर्लभ अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात को भी रोक दिया। इससे वैश्विक सप्लाई चेन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार व्हाइट हाउस ने कहा, 'कुछ महीने पहले चीन ने गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य प्रमुख उच्च-तकनीकी सामग्रियों के अमेरिका में निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस सप्ताह चीन ने छह भारी दुर्लभ अर्थ मेटल्स और दुर्लभ अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात को निलंबित कर दिया, ताकि ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर, और सैन्य ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण सामानों की आपूर्ति को रोका जा सके।'

चीन ने पिछले शुक्रवार को अमेरिकी सामानों पर 125% तक टैरिफ़ बढ़ा दिया। यह क़दम ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर टैरिफ़ को 145% तक बढ़ाने और अन्य देशों के सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ़ को 90 दिनों के लिए स्थगित करने के तुरंत बाद आया।

व्हाइट हाउस ने बताया कि अन्य देशों को फिलहाल इस टैरिफ़ से छूट दी गई है, क्योंकि उनके साथ व्यापार वार्ताएँ चल रही हैं। बयान में कहा गया, '75 से अधिक देशों ने नए व्यापार समझौतों पर चर्चा के लिए संपर्क किया है। इसलिए, उच्च टैरिफ़ को इन चर्चाओं के बीच अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, सिवाय चीन के, जिसने जवाबी कार्रवाई की।'

व्हाइट हाउस ने यह भी खुलासा किया कि प्रशासन ने रणनीतिक संसाधनों के आयात पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच शुरू की है। यह क़दम अमेरिका की उन्नत विनिर्माण और रक्षा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण विदेशी सामग्रियों पर निर्भरता को लेकर बढ़ती चिंताओं को दिखाता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कदम को अमेरिकी उद्योगों की रक्षा और सप्लाई चेन को मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता का हिस्सा बताया। व्हाइट हाउस ने कहा,

पहले दिन से, राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' व्यापार नीति शुरू की, ताकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फिर से महान बनाया जा सके।
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हालांकि 245% टैरिफ से प्रभावित सामानों की विस्तृत सूची अभी जारी नहीं की गई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान बढ़ सकता है।

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ट्रंप प्रशासन का यह क़दम अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को एक नए चरण में ले जाता है। यह न केवल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार, प्रौद्योगिकी, और भू-राजनीतिक संतुलन पर भी इसका गहरा असर होगा।