loader

कैपिटल बिल्डिंग पर हमला यकायक नहीं, ट्रंप को 'पैंगबर' मानने वाले थे इसके पीछे

दुनिया के सबसे ताक़तवर देश और सबसे पुराने लोकतंत्र के प्रतीक कैपिटल बिल्डिंग यानी संसद भवन पर हमला और तोड़फोड़ देखने में अप्रत्याशित और यकायक भले ही लगता हो, दरअसल इसकी पृष्ठभूमि बहुत पुरानी है और इसकी तैयारी भी बहुत दिनों से चल रही थी। 

ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट

जिन लोगों ने संसद पर हमला किया, तोड़फोड़ की, उनमें ज़्यादातर लोग ह्वाइट सुप्रीमेसिस्ट, यानी वे लोग थे जो गोरों की श्रेष्ठता के समर्थक हैं। इनमें से कुछ लोगों ने कॉनफ़ेडरेट का झंडा भी अपने हाथ में ले रखा था। यह वह झंडा है जो अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान ग़ुलामी प्रथा को बरक़रार रखने वालों ने उठा रखा था।

दरअसल ट्रंप का जनाधार उस वर्ग में बडा है, जो अमेरिका में सबको साथ लेकर चलने वालों से नाराज़ हैं, जिनका मानना है कि गोरों की श्रेष्ठता बिल्कुल सही है।

ख़ास ख़बरें

क्यूएनन चर्च

इसके साथ ही एक बड़ा वर्ग उन लोगों का है जो ईसाइयत की व्याख्या अपने तरीके से करते हैं, जो यह मानते हैं कि वे जिस विचारधारा को मानते हैं, उसे प्रभु का आशर्वाद प्राप्त है। ये वे लोग हैं जो डोनल्ड ट्रंप को ईश्वर का भेजा हुआ दूत तक मानते हैं।

इन लोगों को क्यूएनन (QAnon) कहते हैं। इनका अपना एक्यूएनन चर्च है, जिसकी आधिकारिक वेबसाइट है, जिस पर नियमति रूप से प्रार्थना होती है, धर्म की व्याख्या होती है और लोग उसमें मौजूद होते हैं। जो लोग दूर हैं, वे उससे ज़ूम से जुड़ते हैं।

ब्रिटिश अख़बार 'द गार्जियन' के अनुसार, क्यूएनन सबसे पहले 2017 में इंटरनेट पर सामने आया, जब कैलिफ़ोर्निया के जंगल में आग लग गई थी।

इस समूह में हॉलीवुड के प्रतिष्ठित कलाकार, अमेरिका के ताक़तवर यहूदी समुदाय के लोग, बहुत अधिक पैसे वाले बड़े लोग और रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता हैं।

इस समुदाय के लोगों की सोच का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि इन्होंने लॉकडाउन, कोरोना टीकाकरण अभियान, 5-जी मोबाइल सेवा और यहां तक कि बच्चों पर होने वाले अत्याचारों तक का विरोध किया, बड़े-बड़े जुलूस अमेरिका के कई शहरों में निकाले।

'पैगंबर ट्रंप'!

'द कनवर्जन' पत्रिका के अनुसार, क्यूएनन के समर्थकों का मानना है कि डोनल्ड ट्रंप को ईश्वर ने भेजा है, वे ईश्वर के बताए हुए रास्ते पर चल कर अमेरिका को सही अर्थों में ईसाइयत के रास्ते पर ले जाना चाहते है, पर उनके विरोधी उन्हें ऐसा नहीं करने देना चाहते हैं।

इस पत्रिका के अनुसार, क्यूएनन के चर्च ओमेगा किंग्डम मिनिस्ट्री (ओकेएम) के ज़रिए ऑपरेट करता है। यह ईसाईयत के 'निओ कैरिस्मेटिक आन्दोलन' का हिस्सा है। ईसाईयत के प्रोटेस्टेंट आन्दोलन से यह निकला हुआ है और इसका मानना है कि रोमन कैथलिक ही नहीं, प्रोटेस्टेंट चर्च के दूसरे हिस्सों के अनुयायी भी ईसाइयत के सही रास्ते पर नहीं चल रहे हैं।

क्यूएनन के सदस्य और समर्थक इन सभी लोगों को ईसाइयत के रास्ते पर लाना चाहते हैं। उनका मानना है कि इसके लिए डोनल्ड ट्रंप सबसे सही व्यक्ति हैं। ट्रंप को समर्थन देने का कारण यही है।

white supremacist, QAnon behind capital building attack - Satya Hindi

रिपब्लिकन पार्टी से निकटता

इस आन्दोलन से रिपब्लिकन पार्टी बहुत ही निकटता से जुड़ी हुई है। चर्च ऑफ़ क्यूएनन काम करता है 'होम कॉन्ग्रेगेशन वर्ल्ड' (एचसीडब्लू) से और एसचीडब्लू की मजबूत पकड़ है रिपब्लिकन पार्टी पर। रिपब्लिकन पार्टी के टेड क्रूज़ ने इसकी कई बैठक में भाग लिया है। बता दें कि क्रू़ज़ रिपब्लिकन सीनेटर हैं और उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में जो बाइडन को जीत का सर्टिफिकट देने के प्रस्तावों को ज़ोरदार विरोध किया था।

चर्च ऑफ़ क्यूएनन की ट्रंप से निकटता इससे भी समझी जा सकती है कि इसके धर्म गुरु मार्क टेलर अमेरिकी राष्ट्रपति को खुले आम 'ट्रंप प्रॉफेट' यानी पैगंबर ट्रंप कहते हैं। इस पर यूट्यूब चैनल भी है, जिस पर कई कार्यक्रम हैं।

white supremacist, QAnon behind capital building attack - Satya Hindi

ईसाइयत की व्याख्या

चर्च ऑफ क्यूएनन अपने ढंग से ईसाइयत की व्याख्या तो करते ही हैं, वे अपने विचारों को पवित्र बाइबल के अलग-अलग उद्धरणों से सही ठहराने की कोशिश भी करते हैं। दूसरी ओर वे बाईबल की व्याख्या अपने विचारों से करते हैं। ओमेगा किंग्डम मिनिस्ट्री का यकीन बाइबल पर इस तरह है कि वे यह चाहते हैं कि जीवन के हर पहलू को बाईबल के हिसाब से ही चलाना चाहिए।

उनका मानना है कि शिक्षा, विवाह, जन्म, बच्चों का लालन-पालन, सरकार, मीडिया, इंटरटेनमेंट और व्यापार, सब कुछ बाईबल के हिसाब से चले। उनका यह भी मानना है कि यह काम सरकार के स्तर पर होना चाहिए और सरकार को चाहिए कि वह इसके आधार पर नियम बनाए।

किंग्डम ऑफ़ गॉड

चर्च ऑफ़ क्यूएनन के अनुयायियों का मानना है कि पृथ्वी पर ईश्वर का राज (किंग्डम ऑफ़ गॉड) होना चाहिए और यह काम 'ट्रंप प्रॉफ़ेट' ही कर सकते हैं।

white supremacist, QAnon behind capital building attack - Satya Hindi
इसका नतीजा यह है कि इस विचारधारा के अनुयायी टीकाकरण का विरोध करते हैं, गर्भपात का विरोध करते हैं, बच्चों के यौन शोषण को जायज़ ठहराते हैं, वे कोरोना को महामारी नहीं मानते, वे कोरोना को सिर्फ दुष्प्रचार और साजिश मानते हैं, उनका मानना है कि कोरोना रोग है ही नहीं।
white supremacist, QAnon behind capital building attack - Satya Hindi

ट्रंप में विश्वास

यह वह वर्ग है या यह वह विचारधारा है, जो अमेरिकी समाज में पहले से ही है। प्रोटेस्टेंट विचारधारा को मानने वाले ये वे लोग हैं, जिन्हें लगता है कि उसमें सुधार की ज़रूरत है, उसे ईश्वर के रास्ते पर सही तरीके से लाने की जरूरत है। वे डॉमीनियन को मानते हैं, जिसके मुताबिक बाइबल के अनुसार ही राजनीति और सरकार भी चलनी चाहिए।

इस समाज के लोगों को डोनल्ड ट्रप में अपनी छवि दिखी, उन्हें लगा कि यह व्यक्ति उनका सही प्रतिनिधित्व कर सकता है, उसे समर्थन करना चाहिए।

इसलिए जब बार बार ट्रंप यह कहते रहे कि चुनाव में धांधली कर उन्हें हरा दिया गया है और उनसे जीत छीन ली गई है तो इस तबके को लगा कि ट्रंप उनकी बात कह रहे हैं। पहले से ही असंतुष्ट इस तबके को जब लगा कि ट्रंप को जब लगा कि ट्रंप को जीतने के बाद भी सत्ता नहीं दी जा रही है, तो इस समुदाय को लगा कि साजिश का सिद्धान्त यानी 'कॉन्सपिरेसी थ्योरी' बिल्कुल सही है।

white supremacist, QAnon behind capital building attack - Satya Hindi

इन लोगों ने रैली की, जुलूस निकाला, विरोध प्रदर्शन किया और ट्रंप ने खुद उन्हें कैपिटल की ओर कूच करने को कहा तो उन्होंने आगे बढ़ना ही मुनासिब समझा।

ट्रंप के समर्थकों में ही लोग हैं, या सिर्फ इन्हीं लोगों ने हिंसा की, ऐसा नहीं है। इसें वे तमाम लोग थे जो अमेरिकी समाज में किसी तरह के बदलाव, अश्वेतों और लातिनी समाज के लोगों के ख़िलाफ थे। ये वे लोग थे जो अमेरिका में सबको लेकर चलने वाली नीति के ख़िलाफ़ थे। उन लोगों ने यदि अपने हाथ से सत्ता फिसलते देख अपने नेता के कहने पर हिंसा की तो अचरज नहीं होना चाहिए।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें