अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने इस्तीफ़े का एलान करने वाले अपने ख़त में लिखा है कि हुर्रियत के घटक दल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म होने के बाद लोगों का नेतृत्व करने में असफल रहे हैं।
राकेश टिकैत किसान महापंचायतों में खुलकर मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
पायलट ने दौसा, भरतपुर और चाकसू में बड़ी किसान महापंचायतें की हैं और इनमें अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की मदद के बिना ही भीड़ जुटाकर आलाकमान तक अपने ‘जिंदा’ होने का पैगाम पहुंचाया है।
पूर्वांचल की 40 सीटों पर राजभर वोटों का दबदबा है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की कोशिश पिछड़ों की इस जाति को लुभाने की है।
यह बात तय है कि 2022 में प्रियंका ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगी। प्रियंका को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से सुस्त और निस्तेज पड़ी कांग्रेस में जान आ सकती है।
मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि कुछ लोग लगातार देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और हमें इन्हें जानना होगा।
अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली किसानों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे राकेश टिकैत ख़ुद चुनाव लड़कर बुरी तरह हार चुके हैं। लेकिन इस आंदोलन से वह एक मजबूत किसान नेता के रूप में उभरे हैं।
हरियाणा से लेकर पश्चिमी यूपी, राजस्थान, पंजाब तक जाट और किसान नेताओं में उबाल है।
दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन ने देश की जाट राजनीति में उबाल ला दिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान आंदोलन का केंद्र बनता जा रहा है और यहां लगातार महापंचायत हो रही हैं।
पंजाब-हरियाणा के बाद किसान आंदोलन पूरे उत्तर भारत में फैल रहा है और मोदी सरकार के लिए इससे निपटना मुश्किल हो रहा है।
मुख्य आंदोलन स्थल सिंघु बॉर्डर पर जब आप पहुंचेंगे तो आपको पुलिस के अलावा रैपिड एक्शन फ़ोर्स के जवानों की तैनाती भी दिखेगी।
बिहार में नीतीश क्या इतने मजबूर हैं कि कैबिनेट का विस्तार तक नहीं कर पा रहे हैं?
किसानों के आंदोलन के कारण मोदी सरकार सियासी मुश्किल में फंस गई है। वह इससे कैसे निकलेगी?
नीतीश कुमार क्या किसी मजबूरी में हैं। दूसरे कार्यकाल में वे बीजेपी के दबाव में दिखते हैं।
बीजेपी फंस गई है। कृषि क़ानूनों के मसले पर अकाली दल के बाद एक और सहयोगी दल आरएलपी ने साथ छोड़ दिया है।
ओम प्रकाश राजभर काफी वक़्त से छोटे विपक्षी दलों का एक गठबंधन बनाने में जुटे हैं और इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है।
सोनिया गांधी और पार्टी के बाग़ी नेताओं के बीच बैठक होने वाली है।
किसान आंदोलन ने पंजाब की सियासत पर भी गहरा असर किया है। इसलिए शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ख़ुद को किसानों का हितैषी दिखाने की जोरदार कोशिश कर रहे हैं।
किसानों ने आंदोलन को तेज़ करने का एलान किया है दूसरी ओर मोदी सरकार भी पीछे हटती नहीं दिखती।
राजस्थान में निकाय चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए बेहतर नहीं रहे। कहा जा रहा है कि पायलट फिर से मोर्चा खोल सकते हैं।
सरकार ने किसानों को बेवजह ही छेड़ा, वरना आज वे बॉर्डर्स पर नहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में बैठे होते क्योंकि दिल्ली आने से 2 महीने पहले से उन्होंने रामलीला मैदान कूच करने की बात कही थी।
शरद पवार को यूपीए चेयरपर्सन बनाने की चर्चा कहीं से तो छेड़ी गई होगी। अचानक ही मीडिया में इसे लेकर हल्ला मचने का मतलब है कि सीधा कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल।
भारत की आम जनता के लिए नीतियां बनाने वाले आयोग यानी नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के एक बयान को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है।
ग्रेटर हैदराबाद के चुनाव नतीजे बताते हैं कि ओवैसी का वोटर उनके साथ रहा है। अब ओवैसी चुनावी राज्यों की ओर बढ़ेंगे।
किसान अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान किया गया है।