पंजाब और हरियाणा के किसानों के दिल्ली के बॉर्डर पर आ डटने के कारण मुश्किल में फंसी बीजेपी को अपने सहयोगियों की खरी-खोटी सुननी पड़ रही है।
भारत सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को बेहद विनम्र होकर और प्यार मोहब्बत के साथ ही आंदोलन कर रहे किसानों और युवा पीढ़ी को समझाना होगा।
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन ने मरक़जी सरकार और बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
पंजाब के किसानों ने मोदी सरकार को उसके द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर सिर के बल खड़ा कर दिया है।
हरियाणा की बीजेपी शासित खट्टर सरकार किसी क़ीमत पर किसानों को पंजाब से अपने राज्य की सीमा में नहीं घुसने देना चाहती।
जेडीयू कोटे से मंत्री बने मेवालाल के इस्तीफ़े को लेकर चर्चा है कि यह बीजेपी के दबाव में हुआ है। देखिए, विश्लेषण।
कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है, उससे लगता ही नहीं है कि यह इंदिरा गांधी जैसी सख़्त प्रशासक की विरासत वाली पार्टी है।
आख़िर ऐसा क्या हो गया कि बीजेपी ने सुशील मोदी से एनडीए की सरकार में उसके हिस्से आने वाले इस बड़े पद पर बैठने का मौक़ा इस बार छीन लिया।
आलोचकों के अलावा ख़ुद कांग्रेस ने भी यह माना है कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन सत्ता की दौड़ में पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया।
'व्यक्तिगत आज़ादी' का जो अधिकार अर्णब गोस्वामी को हासिल है, वो वरवर राव, स्टेन स्वामी, उमर खालिद और अन्य लोगों को हासिल क्यों नहीं है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के कारण ही बिहार में महागठबंधन के हाथ से सत्ता निकल गयी।
बिहार विधानसभा चुनाव में हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 5 सीटें मिलने की ख़बर ने देश की राजनीति में जोरदार बहस छेड़ दी है।
बिहार में क्या नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा भाई मान लिया है। देखिए, विश्लेषण
बेहद शांत रहने वाले नीतीश कुमार इन दिनों चुनावी सभाओं में धैर्य खो देते हैं। वे परेशान क्यों हैं।
नीतीश कुमार कभी भी किसी के लिए ग़लत भाषा का इस्तेमाल करते नहीं देखे गए हैं। उन्हें शांत, सोच-समझ कर बोलने वाला राजनीतिज्ञ माना जाता है। लेकिन बीते कुछ दिनों में वह कई बार आपा खो चुके हैं।
चिराग जिस तरह के हमले नीतीश पर कर रहे हैं, उससे क्या ऐसा नहीं लगता कि उनके पीछे बीजेपी का हाथ है। देखिए, विश्लेषण
पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म रह चुके नवाज़ शरीफ़ इन दिनों लगातार फ़ौज़ को निशाने पर ले रहे हैं।
बीजेपी में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा। इसे लेकर पार्टी में नेता आमने-सामने हैं और यह बात केंद्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है।
कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ कांग्रेस का देशव्यापी प्रदर्शन जारी है लेकिन मोदी सरकार पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों में ही सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। देखिए, विश्लेषण
पिछले साल महाराष्ट्र में जब शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाकर सरकार बनाई थी, तब यह सवाल उठा था कि क्या यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी।
कांग्रेस ने अपने पुराने नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी महासचिव के पद से हटा दिया है। क्या यह गांधी परिवार के सामने आवाज़ उठाने का नतीजा है?
फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में उनकी एक्स गर्लफ़्रेंड रिया चक्रवर्ती को जिस तरह निशाने पर लिया गया, उससे पश्चिम बंगाल के कुछ राजनीतिक दलों और आम लोगों में नाराज़गी दिखती है।
मुंबई की जिस फ़िल्म इंडस्ट्री में शिव सैनिकों का ख़ौफ़ माना जाता है, वहां बाहर से आई एक फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने किसी शिव सैनिक को नहीं सीधे उनके मुखिया को ललकारा है।
राजनीतिक लिहाज से पूर्वोत्तर के बेहद अहम राज्य असम में 2021 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गयी है।
बरसों से पंजाब और हरियाणा के बीच घमासान का केंद्र बने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का जिन्न एक बार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान के बाद बाहर निकल आया है।