CJI गवई पर हमले और दलित IPS अफ़सर की मौत के बाद बीजेपी की चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या दलित मुद्दों पर सियासी चुप्पी रणनीति है या असंवेदनशीलता? देखिए दलित उत्पीड़न संकट पर आशुतोष की बात में।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।